लद्दाख में एलएसी को लेकर चीन के दावे को भारत ने ख़ारिज़ किया

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा कि भारत ने कभी भी 1959 के चीन के एकतरफ़ा तौर पर तय एलएसी को नहीं माना. 1993 के बाद ऐसे कई समझौते हुए जिसका मक़सद अंतिम समझौते तक सीमा पर शांति और यथास्थिति बनाए रखना था.

लद्दाख में एलएसी को लेकर चीन के दावे को भारत ने ख़ारिज़ किया

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:

लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) को लेकर चीन के दावे को भारत ने खारिज कर दिया है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा कि भारत ने कभी भी 1959 के चीन के एकतरफ़ा तौर पर तय एलएसी को नहीं माना. 1993 के बाद ऐसे कई समझौते हुए जिसका मक़सद अंतिम समझौते तक सीमा पर शांति और यथास्थिति बनाए रखना था.

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2003 तक दोनों तरफ़ से एलएसी के निर्धारण की दिशा में कोशिश होती रही लेकिन इसके बाद चीन ने इसमें दिलचस्पी दिखानी बंद कर दी लिहाज़ा ये प्रक्रिया रुक गई. अब चीन का कहना कि एक ही एलएसी है ये पिछली सहमतियों का उल्लंघन है. पिछले कुछ महीनों से चीन एकतरफ़ा तरीक़े से एलएसी की अलायमेंट बदलना चाहता है.

दस सितंबर को विदेश मंत्रियों की बैठक में भी चीन ने अब तक के समझौतों को मानने का भरोसा दिया. भारत को उम्मीद है कि चीन समझौतों और सहमतियों पर कायम रहेगा और एकतरफ़ा तौर पर एलएसी बदलने की तरफ़ आगे नहीं बढ़ेगा.

वहीं दूसरी ओर, भारतीय सेना (Indian Army) कई दशकों के अपने सबसे बड़े सैन्य भंडारण अभियान के तहत पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लगभग चार महीनों की भीषण सर्दियों के मद्देनजर टैंक, भारी हथियार, गोला-बारूद, ईंधन के साथ ही खाद्य और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में लगी हुयी है. सैन्य सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी. 

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उन्होंने कहा कि शीर्ष कमांडरों के एक समूह के साथ थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे इस विशाल अभियान में निजी तौर से जुड़े हुए हैं. इसकी शुरूआत जुलाई के मध्य में हुयी थी और अब यह पूरा होने जा रहा है. सूत्रों ने कहा कि खासी संख्या में टी -90 और टी -72 टैंक, तोपों, अन्य सैन्य वाहनों को विभिन्न संवेदनशील इलाकों में पहुंचाया गया है. इस अभियान के तहत सेना ने 16,000 फुट की ऊंचाई पर तैनात जवानों के लिए बड़ी मात्रा में कपड़े, टेंट, खाद्य सामग्री, संचार उपकरण, ईंधन, हीटर और अन्य वस्तुओं की भी ढुलाई की है.