भारत में पिछले 10 वर्षों में वैज्ञानिक प्रकाशनों (Scientific Publications) की संख्या में तेज बढ़ोत्तरी दर्ज की है. अब भारत विश्व स्तर पर चीन और अमेरिका के बाद तीसरा बड़ा देश बन गया है, जहां सबसे ज्यादा वैज्ञानिक प्रकाशन हो रहे हैं. केंद्र सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology-DST) ने इसकी जानकारी दी है. डीएसटी के मुताबिक साल 2017-18 में कुल 13,045 पेटेंट में से 1937 भारतीय थे.
डीएसटी ने कहा कि इस अवधि के दौरान भारतीय पेटेंट कार्यालय में भारतीयों द्वारा दायर 15,550 पेटेंट में से 65 प्रतिशत महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और दिल्ली से दाखिल किए गए.
डीएसटी ने कहा, अनुसंधान और विकास (R&D) में भारत का राष्ट्रीय निवेश 2017-18 में 1,13,825 करोड़ से बढ़कर 2018-19 में 1,23,847 करोड़ हो गया है. इसी कालखंड में DST की पहल National Initiative For Developing And Harnessing Innovations (NIDHI) ने इस स्थिति तक पहुँचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
विभाग ने बताया कि NIDHI जैसी पहल के लागू होने से डीएसटी ने लगभग 150 इन्क्यूबेटरों के नेटवर्क के माध्यम से 3,681 स्टार्ट-अप का पोषण किया है और देश में 1992 इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी का सृजन हो सका है. इसके अलावा, पिछले पांच वर्षों में, प्रत्यक्ष रोजगार के रूप में 65,864 नौकरियां सृजित हुई हैं और देश को 27,262 करोड़ का आर्थिक लाभ हुआ है.
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डीएसटी के मुताबिक, पिछले 10 वर्षों में देश में प्रकाशनों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है. भारत ने 2008 और 2018 के बीच प्रकाशनों की सबसे तेज औसत वार्षिक विकास दर 10.73 प्रतिशत दर्ज की है. इसकी तुलना में चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका की औसत वार्षिक विकास दर क्रमशः 7.81 और 0.71 प्रतिशत है.
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