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This Article is From Jul 10, 2020

भारतीय वायुसेना को मिली अपाचे फाइ‍टर हेलीकॉप्‍टर की आखिरी खेप, इन खूबियों से हैं लैस..

बोइंग ने कहा कि उसने सभी 22 अपाचे और 15 चिनूक सैन्य हेलीकॉप्टरों (Chinook military helicopters) की भारतीय वायुसेना को आपूर्ति पूरी कर दी है और वह भारतीय सशस्त्र बलों की संचालन जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.

भारतीय वायुसेना को मिली अपाचे फाइ‍टर हेलीकॉप्‍टर की आखिरी खेप, इन खूबियों से हैं लैस..
अपाचे दुनिया के सबसे उन्नत बहुद्देश्यीय लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में से एक है (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

India-china standoff: चीन के साथ सीमा पर तनाव के बीच प्रमुख अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी बोइंग (Boeing) ने पिछले महीने 22 अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों (Apache helicopters) में से अंतिम पांच हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना (Indian Air Force ) को सौंप दिये और यह फ्लीट अब वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास प्रमुख हवाई ठिकानों पर तैनात विमानों एवं हेलीकाप्टरों का हिस्सा बन गई है. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. बोइंग ने कहा कि उसने सभी 22 अपाचे और 15 चिनूक सैन्य हेलीकॉप्टरों (Chinook military helicopters) की भारतीय वायुसेना को आपूर्ति पूरी कर दी है और वह भारतीय सशस्त्र बलों की संचालन जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.

गौरतलब है कि एएच-64ई अपाचे दुनिया के सबसे उन्नत बहुद्देश्यीय लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में से एक है और इसे अमेरिकी सेना द्वारा उड़ाया जाता है. बोइंग ने कहा कि एएच-64ई अपाचे में लक्ष्य का पता लाने की एक आधुनिक प्रणाली लगी है जो दिन और रात दोनों समय काम करती है.इसी तरह चिनूक एक बहुद्देश्यीय वर्टिकल लिफ्ट हेलीकॉप्टर है जिसका उपयोग मुख्य रूप से सैनिकों, तोपखाने, उपकरण और ईंधन के परिवहन के लिए किया जाता है. भारत ने सितंबर 2015 में भारतीय वायुसेना के लिए 22 अपाचे हेलीकॉप्टरों और 15 चिनूक हेलीकॉप्टर की खरीद के लिए बोइंग के साथ कई अरब डॉलर के एक अनुबंध को अंतिम रूप दिया था. अधिकारियों ने कहा कि अपाचे और चिनूक हेलीकॉप्टर दोनों को ही पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव के मद्देनजर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से लगे क्षेत्रों में भारतीय वायुसेना की तैनाती के तहत सेवा में लगाया गया है.

बोइंग डिफेंस इंडिया के प्रबंध निदेशक सुरेंद्र आहूजा ने कहा, ‘‘सैन्य हेलीकॉप्टरों की इस आपूर्ति के साथ ही हम इस साझेदारी का पोषण करना जारी रखे हुए हैं. हम भारत के रक्षा बलों की संचालन जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें उपयुक्त क्षमताएं उपलब्ध कराने के लिए उनके साथ नजदीकी तौर पर काम काम कर रहे हैं.''जून 2016 में अमेरिका ने भारत को एक ‘‘प्रमुख रक्षा साझेदार'' का दर्जा दिया था और नई दिल्ली के साथ रक्षा व्यापार और प्रौद्योगिकी साझा करने को अपने निकटतम सहयोगियों और साझेदारों के स्तर तक बढ़ाने की इच्छा जताई थी. 

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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