वाशिंगटन:
अमेरिका की विदेश नीति से जुड़ी एक अग्रणी पत्रिका में 2017 के आठ शक्तिशाली राष्ट्रों की सूची में भारत को छठा स्थान मिला है. इस सूची में अमेरिका पहले स्थान पर है. इस सूची में चीन और जापान को संयुक्त तौर पर दूसरा स्थान मिला है. इसके अलावा रूस (चौथे) और जर्मनी (पांचवें) भारत से आगे रहे. ईरान को सातवें जबकि इस्राइल को आठवें पायदान पर रखा गया है. ‘द अमेरिकन इंट्रेस्ट’ पत्रिका ने आठ वैश्विक ताकतों से जुड़ी अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा, ‘जापान की तरह विश्व के शक्तिशाली देशों की सूचियों में प्राय: भारत की अनदेखी कर दी जाती है लेकिन वैश्विक मंच पर इसका स्थान दुर्लभ और उल्लेखनीय है.’
पत्रिका में कहा गया है कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां अंग्रेजी बोलने वाली दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी रहती है. इसके साथ ही यह विविधता से परिपूर्ण और तेजी से आगे बढ़ती आर्थिक ताकत है. भू-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में देखें तो चीन, जापान और अमेरिका सभी अपने एशियाई सुरक्षा ढांचे को लेकर भारत के साथ सहयोग को लेकर उत्सुक हैं. वहीं यूरोपीय संघ और रूस आकषर्क व्यापार और रक्षा समझौतों के लिए नयी दिल्ली की तरफ देखता है.
पत्रिका ने साथ ही कहा है, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आर्थिक सुधारों के आधुनिकीकरण के साथ अपनी क्षमता के उपयोग के जरिये भारत ने चतुराई से इन प्रतिद्वंद्वी शक्तियों से अलग अपनी राह बना ली है.’ अमेरिकी पत्रिका के मुताबिक नोटबंदी के बाद उत्पन्न आंतरिक समस्याओं और पाकिस्तान के भय के बावजूद भारत ने 2016 में अपने आधार को मजबूती दी.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पत्रिका में कहा गया है कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां अंग्रेजी बोलने वाली दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी रहती है. इसके साथ ही यह विविधता से परिपूर्ण और तेजी से आगे बढ़ती आर्थिक ताकत है. भू-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में देखें तो चीन, जापान और अमेरिका सभी अपने एशियाई सुरक्षा ढांचे को लेकर भारत के साथ सहयोग को लेकर उत्सुक हैं. वहीं यूरोपीय संघ और रूस आकषर्क व्यापार और रक्षा समझौतों के लिए नयी दिल्ली की तरफ देखता है.
पत्रिका ने साथ ही कहा है, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आर्थिक सुधारों के आधुनिकीकरण के साथ अपनी क्षमता के उपयोग के जरिये भारत ने चतुराई से इन प्रतिद्वंद्वी शक्तियों से अलग अपनी राह बना ली है.’ अमेरिकी पत्रिका के मुताबिक नोटबंदी के बाद उत्पन्न आंतरिक समस्याओं और पाकिस्तान के भय के बावजूद भारत ने 2016 में अपने आधार को मजबूती दी.
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