
भारत ने 26/11 के मुख्य आरोपी जकी-उर-रहमान लखवी को जमानत दिए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि इससे आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की पाकिस्तान की प्रतिबद्धता का मजाक बनता है।
मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने शुक्रवार को कहा, लखवी को दी गई जमानत पाकिस्तान की आतंकवादी संगठन के खिलाफ लड़ने की प्रतिबद्धता का मजाक बना देगा।
टेलीविजन चैनल के संवाददाताओं से बातचीत में प्रवक्ता ने कहा कि मुंबई हमले पर पाकिस्तान की जांच बहुत धीमी रफ्तार से आगे बढ़ रही है और लखवी को गुरुवार को दी गई जमानत से इसमें ऐसी ही एक और कड़ी जुड़ गई है।
उन्होंने कहा, कई आश्वसनों के बावजूद हमने आतंकवाद निरोधी अदालत में सातों आरोपियों के खिलाफ सुनवाई और मुंबई हमले के षडयंत्र के खिलाफ चल रही जांच की रफ्तार धीमी देखी है। लगातार निलंबन, स्थगन और संबंधित कानूनी अधिकारियों व गवाहों की अनुप्लबधता इसका प्रमाण है और इसे बार-बार कहने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा, लखवी को गुरुवार को जमानत देना इस सिलसिले को और आगे ले गया है। हमने इस मामले पर अपनी चिंता जताई है और भारत की इस भावना से पाकिस्तान को अवगत कराया है कि यह आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की पाकिस्तान की प्रतिबद्धता का मजाक बना देगा।
इस्लामाबाद की एक अदालत ने गुरुवार को लखवी को जमानत दे दी, जो सात अन्य के साथ 26/11 हमले का आरोपी है। इस घटना में 166 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हुए थे। माना जाता है कि हमले के वक्त लखवी प्रतिबंधित संगठन एलईटी का संचालन प्रमुख था।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को लखवी को मिली जमानत पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, यह दुर्भाग्यपूर्ण है और मैं मानता हूं कि यह नहीं होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार को उच्च न्यायालय में अपील करना चाहिए।
विदेश मंत्रालय ने भी कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि लखवी को जमानत नृशंस अपराध करने वाले आतंकवादियों को बच निकलने का भरोसा दिलाने जैसा है। मंत्रालय ने पाकिस्तान से आतंकवाद निरोधी अदालत के इस फैसले के खिलाफ तत्काल कदम उठाने की मांग की।
इसने कहा, पाकिस्तान में हाल के दिनों में हुए हमले के पैमाने को देखते हुए, इसे यह अहसास कराना उचित है कि आतंकवादियों के साथ किसी तरह का समझौता नहीं हो सकता।
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