नई दिल्ली:
भारत भी अमेरिका की तरह उन वेदिशी कंपनियों को देश में बिज़नेस नहीं करने देगा जो राष्ट्रिय सुरक्षा के लिए खतरा होंगी। देश की सरकार को ये अधिकार होगा कि वो ऐसी कंपनियों को ब्लॉक कर सकें या फिर उनके विलय या अधिग्रहण को रोक सके।
ये मुद्दा दरसल अंतर मंत्रालयी चर्चा जो चीन को लेकर हो रही थी, उसमें आया। चीन भारत में प्रधानमंत्री के 'मेक इन इंडिया' प्रोग्राम के तहत कई क्षेत्रों में निवेश करना चाहता है। कई क्षेत्र संवेदनशील हैं जैसे एयरपोर्ट, सपोर्ट, टेलीकॉम, बंदरगाह और एविएशन। इन्हीं संवेदनशील क्षेत्रों को लेकर ये फैसला लिया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने चीन का दौरा करने जा रहे हैं और ये नोट नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटेरिएट ने फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट्स को लेकर तैयार किया है। इस नोट में सवेंदनशील सेक्टर्स में सुरक्षा के लिहाज से भारत की क्या चिंताएं हैं उनके बारे में विवरण है।
बैठक के दौरान सुझाव दिया गया कि देश को भी अमेरिकी रक्षा उत्पादन कानून 1950 में एक्सान-फलोरिया संशोधन(exon florio amendment) जैसे ही विधायी कदमों की जरूरत है। अमेरिकी कानून में संशोधन के तहत राष्ट्रपति इस तरह के विलय एवं अधिग्रहण सौदों को रोक सकते हैं या रद्द कर सकते हैं।
इस नोट में कहा गया है, ‘अनेक पक्षों का माना है कि देश में भी अमेरिकी रक्षा उत्पादन कानून 1950 में एक्सान-फलोरिया संशोधन जैसे ही विधायी कदमों की जरूरत है। अमेरिकी कानून में संशोधन के तहत राष्ट्रपति के पास विदेशी कंपनियों द्वारा उन विलय एवं अधिग्रहण सौदों को रोकने या रद्द करने का अधिकार रहता है जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हों।’
मौजूदा नियमों के तहत जिन क्षेत्रों में विदेशी निवेश की सीमा तय है उनमें भारतीय कंपनियों का स्वामित्व या नियंत्रण स्थानांतरित करने के लिए सरकार या एफआईपीबी की मंजूरी जरूरी होती है।
नोट के अनुसार, ‘हालांकि अगर कोई विदेशी निवेश राष्ट्रीय हितों के खिलाफ पाया जाता है तो फिल्हाल हमारे पास उस पर कार्रवाई करने के लिए कोई कानूनी ढांचा नहीं है।’ सचिवालय की बैठक में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने राय दी कि सीपोर्ट, हवाई अड्डा, विमानन, दूरसंचार, इंटरनेट सेवा प्रदाता, जहाजरानी, सड़क, रक्षा जैसे क्षेत्र सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील हैं।
ये मुद्दा दरसल अंतर मंत्रालयी चर्चा जो चीन को लेकर हो रही थी, उसमें आया। चीन भारत में प्रधानमंत्री के 'मेक इन इंडिया' प्रोग्राम के तहत कई क्षेत्रों में निवेश करना चाहता है। कई क्षेत्र संवेदनशील हैं जैसे एयरपोर्ट, सपोर्ट, टेलीकॉम, बंदरगाह और एविएशन। इन्हीं संवेदनशील क्षेत्रों को लेकर ये फैसला लिया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने चीन का दौरा करने जा रहे हैं और ये नोट नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटेरिएट ने फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट्स को लेकर तैयार किया है। इस नोट में सवेंदनशील सेक्टर्स में सुरक्षा के लिहाज से भारत की क्या चिंताएं हैं उनके बारे में विवरण है।
बैठक के दौरान सुझाव दिया गया कि देश को भी अमेरिकी रक्षा उत्पादन कानून 1950 में एक्सान-फलोरिया संशोधन(exon florio amendment) जैसे ही विधायी कदमों की जरूरत है। अमेरिकी कानून में संशोधन के तहत राष्ट्रपति इस तरह के विलय एवं अधिग्रहण सौदों को रोक सकते हैं या रद्द कर सकते हैं।
इस नोट में कहा गया है, ‘अनेक पक्षों का माना है कि देश में भी अमेरिकी रक्षा उत्पादन कानून 1950 में एक्सान-फलोरिया संशोधन जैसे ही विधायी कदमों की जरूरत है। अमेरिकी कानून में संशोधन के तहत राष्ट्रपति के पास विदेशी कंपनियों द्वारा उन विलय एवं अधिग्रहण सौदों को रोकने या रद्द करने का अधिकार रहता है जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हों।’
मौजूदा नियमों के तहत जिन क्षेत्रों में विदेशी निवेश की सीमा तय है उनमें भारतीय कंपनियों का स्वामित्व या नियंत्रण स्थानांतरित करने के लिए सरकार या एफआईपीबी की मंजूरी जरूरी होती है।
नोट के अनुसार, ‘हालांकि अगर कोई विदेशी निवेश राष्ट्रीय हितों के खिलाफ पाया जाता है तो फिल्हाल हमारे पास उस पर कार्रवाई करने के लिए कोई कानूनी ढांचा नहीं है।’ सचिवालय की बैठक में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने राय दी कि सीपोर्ट, हवाई अड्डा, विमानन, दूरसंचार, इंटरनेट सेवा प्रदाता, जहाजरानी, सड़क, रक्षा जैसे क्षेत्र सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील हैं।
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