एनडीटीवी से बात करते हुए एचएसबीसी के पूर्व कर्मचारी और सचेतक हर्वे फल्सियानी ने कहा कि कालेधन के बारे में भारत के पास जितनी जानकारी है वह मात्र एक प्रतिशत ही है, मैं इस बारे में बहुत जानकारी मुहैया करा सकता हूं। छह साल पहले हर्वे ने गुप्त खातों की सूची जारी की थी जिसमें 600 नाम भारतीयों के थे। हर्वे का कहना है कि वह तमाम देशों की मदद कर रहा है और वह भारत की भी मदद करना चाहता है।
वर्ष 2011 में फ्रांस ने भारत के साथ कुछ खातों की जानकारी साझा की थी जिनके खाते एचएसबीसी बैंक में थे। एनडीटीवी से बात करते हुए हर्वे ने कहा कि वह सिर्फ एक प्रतिशत ही जानकारी थी।
हर्वे का कहना है कि भारत को मात्र 2 एमबी जानकारी ही दी गई थी जबकि 200 जीबी का डाटा है। उसका कहना है कि अगर भारत आग्रह कल करेगा हम उन्हें तुरंत प्रस्ताव देंगे।
उल्लेखनीय है कि हर्वे जेनेवा के एचएसबीसी बैंक में सिस्टम इंजीनियर था। बैंक को बाद में पता चला कि हर्वे ने सुरक्षा नियमों का उल्लंघन किया है कि करीब 127000 खातों के बारे में जानकारी चुराई है।
हर्वे ने 2008 में फ्रांस के साथ कई खातों की जानकारी साझा की है। 42 साल के हर्वे पहले तो फरार हो गया था और बाद में गिरफ्तारी के बाद जेल की सजा भी काटी। लेकिन अब वह जांचकर्ताओं की मदद कर रहा है।
जानकारों का कहना है कि हर्वे के डाटा कितने सही साबित होंगे यह प्रमाणित नहीं किया जा सकता है क्योंकि स्विटजरलैंड के नियमों इस तरह के डाटा की पुष्टि नहीं होती क्योंकि उन्हें चोरी का डाटा माना जाता है।
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