गालवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुई सैन्य झड़प के बाद सीमा पर तनाव को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने रविवार को बैठक की. इस बैठक में भारत-चीन के बीच एलएसी पर तनाव को लेकर हालात की समीक्षा की गई. बैठक में सीडीएस जनरल बिपिन रावत और सेना के तीनों अंगों के प्रमुख मौजूद रहे. बैठक में निर्णय लिया गया कि भारत ने एलओसी पर तनाव नहीं बढ़ाया है, लेकिन यदि दूसरा पक्ष तनाव बढ़ाता है तो उसी भाषा में उसे जवाब दिया जाएगा. बैठक में सेनाओं की तैयारियां की भी समीक्षा की गई.
जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पहले ही स्पष्ट किया है कि सेना अपने जमीनी हालात को देखते हुए जैसा जरूरत पड़े वह निर्णय लें और कार्रवाई करें. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कल रूस जा रहे हैं. अपनी यात्रा से पहले उन्होंने समीक्षा बैठक की. यह बैठक आज सुबह 11 बजे शुरू हुई थी.
भारत-चीन तनाव को लेकर रक्षा मंत्री पहले भी बैठकें कर चुके हैं. बुधवार को भी रक्षा मंत्री ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (CDS) और तीनों सेना के प्रमुखों के साथ अहम बैठक की थी. बैठक में लद्दाख झड़प (Ladakh Clash) के मद्देनजर एलएसी पर स्थिति की समीक्षा की गई. बैठक में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवाने, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने हिस्सा लिया था.
इस बैठक के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीरों के बलिदान को याद करते हुए ट्वीट किया था. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “गालवान में सैनिकों का नुकसान (Loss) दर्दनाक है. हमारे सैनिकों ने अनुकरणीय साहस और वीरता का परिचय दिया और भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपराओं का निर्वाह करते हुए अपने जीवन का बलिदान कर दिया."
बता दें कि पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों को जान गंवानी पड़ी थी. यह हिंसक झड़प उस समय शुरू हुई जब भारतीय सैनिक सीमा के भारत की तरफ चीनी सैनिकों द्वारा लगाए गए टेंट को हटाने गए थे. सूत्रों के ंमुताबिक, इस झड़प में चीन के 43 सैनिक मारे या घायल हुए थे.
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