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This Article is From Sep 06, 2012

साइबर हमला देश के सामने नई चुनौती : सुशील कुमार शिन्दे

साइबर हमला देश के सामने नई चुनौती : सुशील कुमार शिन्दे
नई दिल्ली: सोशल मीडिया के जरिये अफवाहें फैलाने या भड़काऊ सामग्री डालने को आतंकवादियों का नया हथियार मानते हुए केन्द्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने कहा कि साइबर हमला सुरक्षाबलों के लिए नई चुनौती बनकर उभरा है।

शिन्दे ने कहा कि इस बात के काफी साक्ष्य मिले हैं कि आतंकवादियों ने साइबर जगत को नया हथियार बनाया है। कर्नाटक के बेंगलूरु, महाराष्ट्र के पुणे और अन्य शहरों में हुई हाल की घटनाओं से साफ पता चलता है कि जान-बूझकर अफवाहें फैलाई गईं और सोशल मीडिया का गैर-जिम्मेदाराना इस्तेमाल किया गया। इससे नई तरह की चुनौती सामने आई है।

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया में किसी की असल पहचान का पता नहीं चलने की वजह से कभी-कभार बहुत अनुभवी पुलिस जांचकर्ता के लिए भी मुश्किल हो जाती है। ऐसे में पुलिसबल को इस क्षेत्र में कौशल विकसित करना होगा ताकि न सिर्फ भड़काऊ सामग्री का पता लगाया जा सके बल्कि सोशल मीडिया पर ऐसी सामग्री डालने वाले की पहचान भी हो सके।

खुफिया ब्यूरो द्वारा आयोजित राज्यों के पुलिस महानिदेशकों और पुलिस महानिरीक्षकों के तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए शिन्दे ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों को हर खुफिया जानकारी पर त्वरित संज्ञान लेना चाहिए ताकि पाकिस्तान स्थित इस्लामिक संगठनों की आतंकवादियों की घुसपैठ कराने की कोशिशों को नाकाम किया जा सके।

उन्होंने कहा कि केन्द्रीय एजेंसियों और पुलिसबलों के बीच कोई अंतर नहीं होना चाहिए क्योंकि वे आतंकवाद से निपटने के साझा उद्देश्य को हासिल करने के लिए मिलकर काम करते हैं।

जनवरी 2011 से अब तक देशभर में 19 आतंकी मॉड्यूल ध्वस्त करने के लिए खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों की सराहना करते हुए शिन्दे ने कहा कि नक्सलवाद अभी भी बड़ी चुनौती बना हुआ है। सात राज्य नक्सलवाद से जूझ रहे हैं, हालांकि 80 प्रतिशत नक्सल हिंसा 30 से कम जिलों में हो रही है और उनमें से अधिकांश जिले अंतरराज्यीय सीमा पर स्थित हैं।

शिन्दे ने कहा कि प्रशिक्षित और सशस्त्र कैडरों की संख्या में बढ़ोतरी और उनके पुनर्गठन के संकेत मिले हैं।

उन्होंने कहा कि खुफिया तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता है। नक्सलियों से निपटने के लिए विशेषबल का गठन किया जाना चाहिए। राज्यों को विकास योजनाओं के प्रभावशाली कार्यान्वयन को तरजीह देनी चाहिए ताकि नक्सल हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में चहुंमुखी विकास हो सके।

असम में हाल ही में हुई हिंसा के बारे में शिन्दे ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि असम में जातीय समूहों के बीच हुई हिंसा को सांप्रदायिक रंग दिया गया और इससे कई जानें गईं तथा लोगों को राहत शिविरों में जाना पड़ा।

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