
अनुमति 10 फुट गढ्ढा खोदने की है लेकिन इस नियम को ताक पर रखा जा रहा है
होशियारपुर:
कल्पना कीजिए पंजाब का एक हरा भरा खेत जहां हिंदी फिल्मों के कई रोमांटिक गानों में आपने हीरो-हीरोईन को दौड़ते भागते देखा होगा। लेकिन असलियत में इन हरे भरे खेतों में अगर आप दौड़ेंगे तो हो सकता है थोड़ी ही देर में आप खुद को एक गहरे गढ्ढे में गिरा हुआ पाएं।
पंजाब के होशियारपुर जिले के हाजीपुर इलाके का यही हाल है। चंडीगढ़ से 180 किलोमीटर दूर इस गांव में लहलहाते खेतों के आगे करीब 80 फीट गहरे गढ्ढे खुदे हुए हैं। सारे नियम कायदों को ताक पर रखते हुए रेत, गिट्टी और पत्थरों की आवाजाही ने होशियारपुर के खेतों को धूल से सराबोर कर दिया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि राजनीतिक सरपरस्ती के दम पर खनन माफिया को खेतों में घुसने से रोकना नामुमकिन होता जा रहा है। जब डिप्टी मुख्यमंत्री सुखबीर बादल से अवैध खनन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा 'वह हमें उस जगह के बारे में तफसील से बताएं जहां यह सब चल रहा है, हम ज़रूर एक्शन लेंगे।'
घर को छोड़कर कहां जाएं?
ठीक से बताने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। गांव में ट्रक और भारी क्रेनें धर्मेंद्र के खेत को उजाड़ रही हैं लेकिन वह कुछ नहीं कर पा रहा बताते हैं 'मैंने पुलिस को बुलाया है लेकिन दो घंटे से ज्यादा हो गए, अभी तक उनकी कोई ख़बर नहीं है।'

लगातार खनन करने और पत्थरों को तोड़ने की वजह से सिर्फ गांवावालों को ही नहीं क्षेत्र के पर्यावरण पर भी काफी बुरा असर पड़ रहा है। राजविंदर कौर का घर ऐसे ही एक पत्थर घिसने वाले शेड से थोड़ी ही दूर पर है, उन्होंने बताया 'मेरे 11 महीने के बच्चे की आंखों में समस्या होने लगी है। डॉक्टरों ने उसे धूल से दूर रहने के लिए कहा है लेकिन हम अपना घर छोड़कर कैसे जा सकते हैं?'
हद तो यह है कि कैमरा के सामने भी ट्रक चालक और क्रशर चलाने वाले कर्मचारी बिना किसी डर के गांववालों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से टक्कर ले रहे हैं और रिपोर्टर से बात नहीं कर रहे हैं।
खनन माफिया का खतरनाक जाल
अवैध खनन के खिलाफ अभियान चलाने वाले खनन रोको-ज़मीन बचाओ संघर्ष समिति के कार्यकर्ता दीपक ठाकुर का कहना है कि कई बार तो गांववाले ही खनन के ठेकेदारों को बुलाते हैं।
दीपक ने बताया 'वह खेतों को समतल करने का वादा करते हैं ताकि सिंचाई आसानी से हो सके लेकिन एक बार इनके जाल में फंस जाओ तो अक्सर गांववालों को अपनी ज़मीन ही बेचनी पड़ जाती है।' एक क्रशर-मालिक के 'आदमियों' का हमला झेल चुके धर्मेंद्र ने बताया कि कम ही लोग आवाज़ उठाने की हिम्मत कर पाते हैं।

हालांकि ऐसी ही एक कंपनी के मालिक जसविंदर सिंह का कहना है कि ' पहले तो किसान हम लोगों से बड़ी रकम ले लेते हैं और फिर अलग अलग क्रश मालिकों से समझौता कर लेते हैं।' वहीं सरकार का कहना है कि वह खनन को रोकने की पूरी कोशिश में लगी है।
होशियारपुर में खनन विभाग के जनरल मैनेजर टीएस सेखन ने एनडीटीवी से कहा 'पिछले तीन महीने में मैंने नियम तोड़ने वालों के खिलाफ इतने केस दर्ज किए हैं जितने पिछले एक साल में किसी ने नहीं किए होंगे।' सेखन को नहीं लगता कि खनन के खिलाफ कार्यवाही को रोकने के लिए किसी तरह की राजनीतिक दबाव है।
पंजाब के होशियारपुर जिले के हाजीपुर इलाके का यही हाल है। चंडीगढ़ से 180 किलोमीटर दूर इस गांव में लहलहाते खेतों के आगे करीब 80 फीट गहरे गढ्ढे खुदे हुए हैं। सारे नियम कायदों को ताक पर रखते हुए रेत, गिट्टी और पत्थरों की आवाजाही ने होशियारपुर के खेतों को धूल से सराबोर कर दिया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि राजनीतिक सरपरस्ती के दम पर खनन माफिया को खेतों में घुसने से रोकना नामुमकिन होता जा रहा है। जब डिप्टी मुख्यमंत्री सुखबीर बादल से अवैध खनन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा 'वह हमें उस जगह के बारे में तफसील से बताएं जहां यह सब चल रहा है, हम ज़रूर एक्शन लेंगे।'
घर को छोड़कर कहां जाएं?
ठीक से बताने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। गांव में ट्रक और भारी क्रेनें धर्मेंद्र के खेत को उजाड़ रही हैं लेकिन वह कुछ नहीं कर पा रहा बताते हैं 'मैंने पुलिस को बुलाया है लेकिन दो घंटे से ज्यादा हो गए, अभी तक उनकी कोई ख़बर नहीं है।'

लगातार खनन करने और पत्थरों को तोड़ने की वजह से सिर्फ गांवावालों को ही नहीं क्षेत्र के पर्यावरण पर भी काफी बुरा असर पड़ रहा है। राजविंदर कौर का घर ऐसे ही एक पत्थर घिसने वाले शेड से थोड़ी ही दूर पर है, उन्होंने बताया 'मेरे 11 महीने के बच्चे की आंखों में समस्या होने लगी है। डॉक्टरों ने उसे धूल से दूर रहने के लिए कहा है लेकिन हम अपना घर छोड़कर कैसे जा सकते हैं?'
हद तो यह है कि कैमरा के सामने भी ट्रक चालक और क्रशर चलाने वाले कर्मचारी बिना किसी डर के गांववालों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से टक्कर ले रहे हैं और रिपोर्टर से बात नहीं कर रहे हैं।
खनन माफिया का खतरनाक जाल
अवैध खनन के खिलाफ अभियान चलाने वाले खनन रोको-ज़मीन बचाओ संघर्ष समिति के कार्यकर्ता दीपक ठाकुर का कहना है कि कई बार तो गांववाले ही खनन के ठेकेदारों को बुलाते हैं।
दीपक ने बताया 'वह खेतों को समतल करने का वादा करते हैं ताकि सिंचाई आसानी से हो सके लेकिन एक बार इनके जाल में फंस जाओ तो अक्सर गांववालों को अपनी ज़मीन ही बेचनी पड़ जाती है।' एक क्रशर-मालिक के 'आदमियों' का हमला झेल चुके धर्मेंद्र ने बताया कि कम ही लोग आवाज़ उठाने की हिम्मत कर पाते हैं।

हालांकि ऐसी ही एक कंपनी के मालिक जसविंदर सिंह का कहना है कि ' पहले तो किसान हम लोगों से बड़ी रकम ले लेते हैं और फिर अलग अलग क्रश मालिकों से समझौता कर लेते हैं।' वहीं सरकार का कहना है कि वह खनन को रोकने की पूरी कोशिश में लगी है।
होशियारपुर में खनन विभाग के जनरल मैनेजर टीएस सेखन ने एनडीटीवी से कहा 'पिछले तीन महीने में मैंने नियम तोड़ने वालों के खिलाफ इतने केस दर्ज किए हैं जितने पिछले एक साल में किसी ने नहीं किए होंगे।' सेखन को नहीं लगता कि खनन के खिलाफ कार्यवाही को रोकने के लिए किसी तरह की राजनीतिक दबाव है।
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