लॉकडाउन में जरूरतमंदों का पेट भरने के लिए इस शख्स ने 'राइस ATM'की शुरुआत की

कोरोना महामारी के चलते पैदा हुए आर्थिक संकट को देखते हुए कॉरपोरेट फर्म में ह्यूमन रिसोर्स एग्जीक्यूटिव के तौर पर काम करने वाले दोसपति रामु ने एक राइस एटीएम की शुरुआत की. जिससे कि कोरोना लॉकडाउन में गरीबों और जरूरतमंद लोगों का पेट भरा जा सके

लॉकडाउन में जरूरतमंदों का पेट भरने के लिए इस शख्स ने 'राइस ATM'की शुरुआत की

दोसपति रामु ने राइस एटीएम की शुरुआत की.

हैदराबाद:

कोरोना महामारी के चलते पैदा हुए आर्थिक संकट को देखते हुए कॉरपोरेट फर्म में ह्यूमन रिसोर्स एग्जीक्यूटिव के तौर पर काम करने वाले दोसपति रामु ने एक राइस एटीएम की शुरुआत की. जिससे कि कोरोना लॉकडाउन में गरीबों और जरूरतमंद लोगों का पेट भरा जा सके.  समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक रामु पहले एक दिन में 150 लोगों को भोजन कराते थे लेकिन इसके बाद उन्होंने जरूरतमंद लोगों को राशन बांटना शुरू किया. 

उन्होंने बताया , '' लॉकडाउन में मैंने और मेरे दोस्तों ने प्रवासी मजदूरों को भोजन कराया. हम हर दिन 150 लोगों को भोजन कराते थे लेकिन लॉकडाउन खत्म होने के बाद राइस एटीएम की शुरुआत की है. जिसके जरिए जरूरतमंद लोगों को हर दिन राशन बांटा जाता है.'' रामु ने बताया कि उन्हें ये प्रेरणा उनके सिक्योरिटी गार्ड से मिली जिसने लॉकडाउन में कम सैलरी होने के बाद भी काफी प्रवासी मजदूरों को भोजन कराया. रामु ने कहा कि प्रवासियों के पास कोरोना और लॉकडाउन के चलते न तो काम है और न ही भोजन. 

रामु ने सोचा था कि चीजें पहली जैसी होने के बाद वे राइस एटीएम बंद करेंगे लेकिन उन्होंने देखा कि लॉकडाउन के बाद भी गरीब और जरूरतमंद लोगों की स्थिति अच्छी नहीं है. रामु ने कहा कि वे लोगों को राशन बांट रहे हैं एक दिन में 20-30 से लेकर 150 लोगों को वे राशन बांटते हैं. उन्होंने कहा कि जैसे ही लोगों को मेरी इस मुहिम के बारे में पता चला काफी सारे लोग मदद के लिए मेरे पास आए. 

रामु ने बताया कि उन्होंने बहुत से शिक्षकों को भी राशन बांटा जिन्हें लॉकडाउन के दौरान तनख्वाह नहीं मिली है. रामु और उनके साथी बुजुर्गों और कोरोना मरीजों को भी राशन बांट रहे हैं. रामु ने कहा कि वे एक किट तैयार कर जरूरतमंद लोगों तक चीजें पहुंचा रहे हैं. 

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रामु कहते हैं कि ये महामारी जल्द से जल्द खत्म हो और किसी को भोजन के लिए मदद के लिए मजबूर न होना पड़े. रामु ने कहा कि वे नहीं चाहते हैं कि कोई भी शख्स भूखे पेट सोए या भूख से मरे.