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This Article is From Apr 11, 2015

इस नई योजना के तहत, पीएम मोदी के लिए अपने सोने के खजाने खोलेंगे मंदिर : रिपोर्ट

इस नई योजना के तहत, पीएम मोदी के लिए अपने सोने के खजाने खोलेंगे मंदिर : रिपोर्ट
मुंबई का प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर
मुंबई:

मुंबई का करीब 200 साल पुराना सिद्धिविनायक मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है। भक्तों के चढ़ावे से मिले 158 किलो सोने के भंडार से भरे इस मंदिर की सुरक्षा में दिन-रात 65 सुरक्षाकर्मी लगे रहते हैं। मंदिर में रखे इस सोने की कीमत लगभग 67 मिलियन डॉलर यानी 417 करोड़ रुपये के करीब आंकी गई है।

भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा खरीददार है और पुराने मंदिरों में करोड़ों रुपये के सोने के आभूषण और सिक्के जमा है। कुछ साल पहले ही केरल के पद्मनाभ स्वामी मंदिर के गुप्त तहखाने में बंद खजाने की जानकारी मिली, जिसकी कीमत करीब 20 बिलियन डॉलर यानी 1,24,750 करोड़ रुपये से भी अधिक मानी जाती है।

खबर है कि केंद्र की मोदी सरकार अगले महीने एक नई योजना लाने जा रही है, जिसमें मंदिरों को अपना सोना बैंक में जमा करने के प्रोत्साहित किया जाएगा। केंद्र सरकार चाहती है कि मंदिरों के इस सोने के भंडार का इस्तेमाल भारतीय अर्थव्यवस्था पर लंबे समय से हावी व्यापारिक असंतुलन को दूर करने में किया जाए।

सोने के लिए भारतीय आवाम का जुनून जगजाहिर है और ऐसे में सरकार इस सोने को पिघला कर आभूषण निर्माताओं को देगी, जिससे कि सोने के आयात पर अंकुश लगाया जा सके। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि मार्च 2013 में खत्म हुए वित्तीय वर्ष में सोने के आयात का प्रतिशत भारत के कुल व्यापार घाटे का 28% था।

सरकार और स्वर्ण उद्योग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि भारत हर साल 800 से 1000 टन सोना आयात करता है। सरकार को उम्मीद है कि अगर मंदिर इस योजना में रुचि दिखाते हैं तो देश का कुल स्वर्ण आयात घटकर एक-चौथाई हो जाएगा।

इस संबंध में सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्र मुरारी राणे कहते हैं, 'अगर यह योजना लाभदायक और सुरक्षित है, तो हमें सरकार की ऐसी किसी योजना का हिस्सा बनकर अपना सोना राष्ट्रीय बैंकों में जमा करने में खुशी होगी।'

हालांकि, मुंबई के एक सोना व्यापारी कहते हैं कि उन्होंने और उनके पिता ने सिद्धिविनायक मंदिर में अब तक तकरीबन 200 किलो सोने का चढ़ावा चढ़ाया है। उनका कहना है कि श्रद्धा के चढ़ावे पर मंदिरों का ब्याज लेना पाप होगा। 52 साल के इस व्यापारी का कहना है, 'मैंने ईश्वर के लिए चढ़ावा चढ़ाया, न कि मंदिर ट्रस्ट के लिए।'

इसी योजना से मिलती-जुलती एक योजना 1999 में भी लागू की गई थी, लेकिन वह योजना इसलिए सफल नहीं हो पाई, क्योंकि सरकार की तरफ से बैंकों को जिस ब्याज दर की पेशकश की गई थी वह मंदिरों की उम्मीद से काफी कम थी। उस योजना के तहत भारतीय स्टेट बैंक 0.75 से 1 प्रतिशत का ब्याज देता है। गौर करने वाली बात यह है कि उस योजना के तहत अब तक कुल 15 टन सोना ही बैंक में जमा किया गया है।

वहीं मंदिरों का कहना है कि वे उम्मीद करते हैं कि नई योजना में आकर्षक ब्याज दरों का प्रावधान किया जाएगा। सरकार ब्याज दरों का खुलासा तभी करेगी, जब आधिकारिक तौर पर इस योजना का ऐलान किया जाएगा।

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