जयललिता (फाइल फोटो)
चेन्नई:
साउथ एक्टर गौतमी तड़ीमाला ने पीएम मोदी को खत लिखकर जयललिता के इलाज और मौत से जुड़े कुछ 'अनसुलझे सवालों' की तरह ध्यान आकर्षित कराया है. उल्लेखनीय है कि जयललिता का दिल का दौरा पड़ने के बाद मंगलवार की देर रात को चेन्नई के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया था. उनके विश्वस्त सहयोगी ओ पन्नीरसेल्वम को उसी रात मुख्यमंत्री बनाया गया.
गौतमी (48) ने खत में जयललिता के संबंध में सूचनाओं को गोपनीय रखने का आरोप लगाते हुए कहा, ''उनका निधन पिछले महीनों की परिस्थितियों के मद्देनजर बेहद त्रासद और व्यथित करने वाला है और उनके इलाज, धीरे-धीरे स्वस्थ होने की रिपोर्टों और उसके बाद एकदम से निधन ने अनेक अनसुलझे सवालों को पैदा किया है.''
उल्लेखनीय है कि 22 सितंबर को फेफड़ों में संक्रमण होने के बाद जयललिता को अस्पताल में भर्ती कराए जाने के बाद उनको सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया.
इस पर गौतमी ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे खत में कहा, ''हर व्यक्ति को अपने चुने हुए नेता के बारे में जानने का हक है. ऐसे में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री और बेहद लोकप्रिय नेता के मामले में गोपनीयता क्यों बरती गई? किसके कहने पर उन तक पहुंचने पर पाबंदी लगाई गई? जब जयललिता की हालत इस कदर नाजुक थी तो उनके इलाज और देखभाल के संबंध में निर्णय लेने वाले कौन लोग थे? जनता के इन सवालों का जवाब देने के लिए कौन जवाबदेह है? इस तरह के ज्वलंत सवाल तमिलनाडु की जनता पूछ रही है और उनकी आवाज को मैं आप तक पहुंचा रही हूं.''
गौतमी (48) ने खत में जयललिता के संबंध में सूचनाओं को गोपनीय रखने का आरोप लगाते हुए कहा, ''उनका निधन पिछले महीनों की परिस्थितियों के मद्देनजर बेहद त्रासद और व्यथित करने वाला है और उनके इलाज, धीरे-धीरे स्वस्थ होने की रिपोर्टों और उसके बाद एकदम से निधन ने अनेक अनसुलझे सवालों को पैदा किया है.''
उल्लेखनीय है कि 22 सितंबर को फेफड़ों में संक्रमण होने के बाद जयललिता को अस्पताल में भर्ती कराए जाने के बाद उनको सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया.
इस पर गौतमी ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे खत में कहा, ''हर व्यक्ति को अपने चुने हुए नेता के बारे में जानने का हक है. ऐसे में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री और बेहद लोकप्रिय नेता के मामले में गोपनीयता क्यों बरती गई? किसके कहने पर उन तक पहुंचने पर पाबंदी लगाई गई? जब जयललिता की हालत इस कदर नाजुक थी तो उनके इलाज और देखभाल के संबंध में निर्णय लेने वाले कौन लोग थे? जनता के इन सवालों का जवाब देने के लिए कौन जवाबदेह है? इस तरह के ज्वलंत सवाल तमिलनाडु की जनता पूछ रही है और उनकी आवाज को मैं आप तक पहुंचा रही हूं.''
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