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This Article is From Sep 26, 2016

फिर 'झुके' अखिलेश यादव, उत्तर प्रदेश कैबिनेट में हुई दो हफ्ते पहले बर्खास्त हुए मंत्री की वापसी

फिर 'झुके' अखिलेश यादव, उत्तर प्रदेश कैबिनेट में हुई दो हफ्ते पहले बर्खास्त हुए मंत्री की वापसी
शिवपाल यादव तथा मोहम्मद आज़म खान के साथ सीएम अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
लखनऊ: इसी महीने की शुरुआत में लिए कुछ कड़े फैसलों से पलटने का सिलसिला सोमवार को उस समय पूरा हो गया, जब विवादास्पद मंत्री रहे गायत्री प्रजापति को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने आठवें मंत्रिमंडल विस्तार के तहत फिर कैबिनेट में शामिल कर लिया.

उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) में व्याप्त कलह के बीच सोमवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के मंत्रिमंडल का आठवां विस्तार हुआ, जिसमें चार नए मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई गई और पांच राज्यमंत्रियों को प्रोन्नत कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया. मंत्रिमंडल से हटाए गए गायत्री प्रसाद प्रजापति, पवन पांडेय और शिवाकांत ओझा को पुन: मंत्री बनाया गया है, जबकि जियाउद्दीन रिज़वी को भी मंत्रिपद की शपथ दिलाई गई.

राजभवन में सोमवार को आयोजित समारोह में राज्यपाल राम नाइक ने नए मंत्रियों को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई. इस अवसर पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और सरकार के कद्दावर मंत्री शिवपाल यादव सहित कई वरिष्ठ मंत्री और नेता मौजूद थे.

इस विस्तार के तहत मुख्यमंत्री ने लक्ष्मीकांत निषाद उर्फ पप्पू निषाद को मंत्रिमंडल से हटा दिया है, जो खाद्य एवं आपूर्ति राज्यमंत्री थे.

गायत्री प्रसाद प्रजापति, शिवाकांत ओझा, मनोज कुमार पाण्डेय ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली. इन तीनों की मंत्रिमंडल में वापसी हुई है. जियाउद्दीन को पहली बार मंत्री बनाया गया है, जबकि हाजी रियाजुद्दीन, अभिषेक मिश्र, नरेंद्र वर्मा, शंखलाल मांझी व यासर शाह को राज्यमंत्री से प्रोन्नत कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है.

इससे पहले अखिलेश मंत्रिमंडल का विस्तार जुलाई में हुआ था. उस समय बर्खास्त मंत्री बलराम यादव, नारद राय, रविदास मेहरोत्रा के साथ शारदा प्रताप शुक्ला को शपथ दिलाई गई थी. उस समय की सूची में शामिल जियाउद्दीन रिजवी कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ नहीं ले पाए थे.

गौरतलब है कि खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति को अखिलेश यादव ने लगभग दो सप्ताह पहले एक अन्य मंत्री राजकिशोर सिंह के साथ भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त किया था. इस फैसले से अखिलेश की उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव के साथ 'जंग' शुरू हो गई, जिसमें आखिरकार अखिलेश को ही झुकना पड़ा, क्योंकि उनके पिता समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने इस जंग में अपने छोटे भाई शिवपाल का साथ दिया, जिससे अखिलेश को अपने फैसले पलटने के लिए मजबूर होना पड़ा.

अपने चाचा से महत्वपूर्ण मंत्रालय छीन लेने के तीन ही दिन बाद अखिलेश यादव ने घोषणा कर दी थी कि वह अधिकतर विभाग अपने चाचा को लौटा रहे हैं. मुलायम सिंह यादव के हस्तक्षेप के बाद हुई 'संधि' के बाद शिवपाल यादव को पार्टी की राज्य इकाई का अध्यक्ष पद भी संभालने को मिल गया, जो कुछ ही महीनों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव की वजह से काफी महत्वपूर्ण है, और इससे पहले यह पद भी अखिलेश यादव के पास ही था.

इस 'जंग' के दौरान मुलायम सिंह यादव का वह फैसला अखिलेश यादव के लिए सबसे बड़ी 'चोट' माना गया, जिसके तहत उन्होंने एक वक्त पार्टी से निकाल बाहर किए गए अमर सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया था. अखिलेश यादव ने बिना नाम लिए अमर सिंह पर आरोप लगाया था कि 'परिवार के बीच गलतफहमियों' के लिए 'बाहरी लोग' ज़िम्मेदार हैं.

गायत्री प्रजापति को न सिर्फ शिवपाल यादव, बल्कि मुलायम सिंह यादव का भी करीबी माना जाता है, और उनकी बर्खास्तगी को अखिलेश यादव की ओर से की गई बगावत का संकेत माना गया था, लेकिन अब गायत्री प्रजापति की मंत्रिमंडल में वापसी को लेकर भी अखिलेश के सिर पर विपक्ष के हमले की तलवार लटक रही है.

(इनपुट इंडो-एशियन न्यूज़ सर्विस से भी)

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