यह ख़बर 14 मई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

फरीदाबाद : अदालती आदेश के बावजूद धड़ल्ले से बिक रही है जमीन

खास बातें

  • फ़रीदाबाद और दिल्ली के बीच एक ऐसी बस्ती है जहां ज़मीन नाजायज़ तौर पर 700 से 1000 रुपये गज के हिसाब से बेची जा रही है।
फरीदाबाद:

फ़रीदाबाद और दिल्ली के बीच एक ऐसी बस्ती है जहां ज़मीन नाजायज़ तौर पर 700 से 1000 रुपये गज के हिसाब से बेची जा रही है। अरावली की इन पहाडियों पर जहां सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी तरह के निर्माण पर पाबंदी लगाई है यहां नाजायज़ तौर पर प्लॉट काटे जा रहे हैं और उनपर निशान लगाया जा रहा है।

ये टूटे−फूटे से लगने वाले घर प्रवासी मजदूरों के हैं... मसलन बिहार से आए राधेश्याम का जिन्होंने अपनी मेहनत से कमाया पैसा अपने सपने को पूरा करने में लगाया है। अपने छोटे से घर का सपना। लेकिन यह वह सपना है जिसका बिखरना अब पक्का है।  

इन अवैध बस्तियों में ज़िंदगी जीना आसान नहीं है। यहां आना−जाना भी काफी मुश्किल है। इन टेढ़े−मेढ़े रास्तों से चढ़ते−उतरते बार−बार ही खयाल आता है कि कहीं पांव फिसल न जाएं।

अरावली की पहाड़ियों पर बसा हुआ खोरी गांव है जहां किसी भी कंस्ट्रक्शन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पाबंदी लगा रखी है। लेकिन यहां कई साल से प्लॉट कट रहे हैं बिक रहे हैं औने−पौने दामों पर। जमीन सरकारी है बोली लगाकर बेचने वाले दलाल हैं और खरीदार जरूरतमंद।

यह पूरा इलाका 158 हेक्टेयर का है जिसके करीब दो तिहाई पर अवैध कब्जा है। खरीदार भी दिहाड़ी मजदूर हैं। जिन्हें पहले तो दलालों ने ठगा और जमीन बेचकर पुलिस वालों को उगाही करने के लिए आगे का रास्ता तैयार कर दिया।

यह सब कुछ राजधानी के ऐन बाहर सरकार की नाक के नीचे हो रहा है। कुछ दलालों का गिरोह है जो सरकार को चूना लगा रहा है और गरीबों की गाढ़ी कमाई लूट रहा है।

अभी कोई अफ़सर कुछ बोलने को तैयार नहीं। न फॉरेस्ट विभाग और न ही फरीदाबाद नगर निगम।

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खतरा यह है कि अचानक किसी दिन सरकार जागकर यहां बुलडोजर न चलवा दे। तब तक दलाल रफूचक्कर हो चुके होंगे और डूबेगी इन लोगों की कमाई।