
वो तेरह साल बाद सामने आया और दावा किया कि 27 सितंबर 2002 की रात जिस लैंड क्रूजर कार से हादसा हुआ था, उसे अभिनेता सलमान खान नहीं बल्कि वो खुद चला रहा था।
इतना ही नहीं उसने ये भी बताया कि सलमान भाई के कहने पर उसने 100 नंबर डॉयल कर पुलिस को हादसे की सूचना दी और फिर बांद्रा पुलिस स्टेशन भी गया।
वहां पारधी नाम के पुलिसवाले को सब बताया भी, लेकिन उन्होंने उसे बगल में चुपचाप बैठने को कहा। बाद में उसने देखा कि पुलिस ने सलमान भाई को आरोपी बना दिया। उसने दावा किया कि उस समय उसने सलमान खान से कहा भी था कि भाई मुझे कुछ गड़बड़ लग रहा है।
अशोक सिंह नाम का ये शख्स सलीम खान का ड्राइवर है। बचाव पक्ष की तरफ से मुकदमे में बतौर गवाह हाजिर होकर उसने 30 मार्च को ये गवाही दी। विस्तार से बताया कि कैसे वो उस रात अपने घर पर सो रहा था। तब अल्ताफ नाम के सलमान के दूसरे ड्राइवर ने उसे फोन कर जे.डब्ल्यू. मेरियट होटल बुलाया।
जब वो पंहुचा तो सलमान खान कार की सीट पर बैठे थे, कार का एसी चालू था। उसके जाने पर सलमान ड्राइवर की सीट की बगल वाली सीट पर चले गए। अशोक सिंह ने आगे बताया कि लिंक रोड से वो जब हिल रोड टी जक्शन के पास पंहुचा ही था कि कार की बायीं तरफ वाला अगला टायर अचानक से फट गया और स्टेंरिग जाम हो गया। नतीजा वो कार को कंट्रोल नही कर पाया और कार फुटपाथ पर चढ़ गई।
हालांकि विशेष सरकारी वकील प्रदीप घरत ने जब उससे पूछा कि इतने साल चुप क्यों रहे? पुलिस ने अगर नहीं सुना तो मीडिया के पास जा सकते थे। किसी वकील से सलाह ले सकते थे। ऐसे सभी सवालों का अशोक सिंह के पास बस एक ही जवाब था कि उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करे।
फिर अब कैसे आये? ये पूछने पर ड्राइवर का जवाब था कि सलीम साहब ने बोला कि जाओ जो सच है वो बताओ। सरकारी वकील ने ये भी कहा कि क्या उसे झूठ बोलने के लिए पैसे मिले हैं जिसका जवाब अशोक सिंह ने ना में दिया।
बाद में अदालत के बाहर मीडिया से बात करते हुए सरकारी वकील ने साफ किया कि इतने सालों में उन्होंने कभी ये नहीं सुना कि उस रात अशोक सिंह कार चला रहा था। ना तो पुलिस में इस तरह की कोई डायरी दर्ज है। ना ही मौके पर मौजूद चश्मदीदों ने ऐसा कुछ बयान दिया है और ना ही खुद सलमान खान और पुलिस सिपाही रवींद्र पाटिल ने ही अपने बयान मे तब अशोक सिंह का नाम लिया था।
ड्राइवर अशोक सिंह की गवाही के बाद अब बचाव पक्ष के दूसरे गवाह का इंतजार है। इस बीच अदालत ने मुकदमे की आखिरी सुनवाई के लिए एक अप्रैल की तारिख मुकर्रर कर दी है और अगर सब कुछ तय समय के मुताबिक हुआ तो अप्रैल के दूसरे पखवाड़े तक अदालत मुकदमे का फैसला सुना सकती है।
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