हैदराबाद एनकाउंटर : मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को छह महीने का और वक्त दिया

कोरोना वायरस संक्रमण के चलते आगे जांच नहीं हो पाई इसलिए आयोग ने जांच पूरी करने के लिए और समय मांगा, छह महीने का कार्यकाल अगस्त में पूरा हो रहा था

हैदराबाद एनकाउंटर : मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को छह महीने का और वक्त दिया

हैदराबाद एनकाउंटर के घटनास्थल की फाइल फोटो.

नई दिल्ली:

हैदराबाद एनकाउंटर (Hyderabad encounter) मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने आयोग को छह महीने का और वक्त दिया है. इस एनकाउंटर की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस वीएस सिरपुरकर कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर में मामले की जांच पूरी करने के लिए 6 महीने का समय दिया था लेकिन कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के चलते आगे जांच नहीं हो पाई इसलिए आयोग ने जांच पूरी करने के लिए और समय मांगा है. 

आयोग की ओर से कहा गया है कि कोराना के चलते लगातार लॉकडाउन बढ़ाया जा रहा है और इसलिए आयोग अपनी जांच आगे नहीं बढ़ा पा रहा है. आयोग को ना केवल तेलंगाना में शारीरिक रूप से सुनवाई करनी है बल्कि मौके का मुआयना भी करना है. इसलिए अदालत जांच समय सीमा को बढ़ाए. अर्जी में मांग की गई है कि जब आयोग शारीरिक रूप से सुनवाई और मौके का मुआयना करने में समक्ष हो जाए तो इसके बाद ये 6 महीने का समय जांच पूरी करने के लिए दिया जाए. छह महीने का कार्यकाल अगस्त में पूरा हो रहा था.

दरअसल कोरोना संकट के चलते हैदराबाद एनकाउंटर मामले की जांच तय समय में पूरी नहीं हो पाई है. पिछले साल दिसंबर में हुए इस एनकाउंटर की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 12 दिसंबर को तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था, जिसे 6 महीने में जांच पूरी करके रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करने का निर्देश दिया गया था. यह छह महीने की अवधि जांच समिति की पहली बैठक से शुरू होनी थी जो कि फरवरी में हुई थी. 

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कमेटी के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस वीएस सिरपुरकर व सदस्यों में सीबीआई के रिटायर्ड निदेशक डीआर कार्तिकेयन और जस्टिस रेखा बालडोटा हैं. जस्टिस सिरपुरकर की उम्र 74 साल है, कार्तिकेयन की उम्र 84 साल है और जस्टिस रेखा बालडोटा 65 साल की हैं. कमेटी के तीनों सदस्य सीनियर सिटीजन हैं जिन्हें कोरोना संकट काल में जांच पूरी करने में काफ़ी दिक्कतें आ रही हैं. 

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कोरोना संकट काल से पहले जांच के शुरुआती समय में जांच कमेटी को करीब 1400 लोगों के एफिडेविट मिले हैं जिनमें करीब 1300 लोगों ने हैदराबाद एनकाउंटर को सही बताते हुए एनकाउंटर में शामिल पुलिस कर्मियों को फ़र्ज़ी तरीके से एनकाउंटर करने के आरोपों से निर्दोष बताया है. लेकिन जांच कमेटी के लिए इन सभी एफिडेविटों की सच्चाई का पता करने में काफी समय लगना है जिसकी वजह से कमेटी अपनी जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में तय अवधि में दाखिल नहीं कर पाएगी.