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Hurriyat conference के धड़ों पर आतंकी फंडिंग में शामिल होने का आरोप (फाइल)
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार हुर्रियत कान्फ्रेंस के दोनों गुटों पर पाबंदी लगा सकती है. दोनों गुटों के कई नेता 2017 से जेल में हैं. जेल में बंद लोगों में गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह, व्यवसायी जहूर अहमद वटाली, गिलानी के करीबी एवं कट्टरपंथी अलगाववादी संगठन तहरीक-ए-हुर्रियत के प्रवक्ता अयाज अकबर, पीर सैफुल्लाह, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नरमपंथी धड़े के प्रवक्ता शाहिद-उल-इस्लाम, मेहराजुद्दीन कलवाल, नईम खान और फारूक अहमद डार उर्फ ''बिट्टा कराटे'' शामिल हैं.
- सैयद अली शाह गिलानी के नेतृत्व वाले कट्टरपंथी हुर्रियत कांफ्रेंस गुट तहरीक-ए-हुर्रियत ने श्रीनगर के हैदरपोरा में अपने नेता के आवास पर समूह के प्रधान कार्यालय से साइनबोर्ड हटा दिया है. यह कवायद अलगाववादी गुट के उदारवादी और कट्टर दोनों गुटों पर जल्द ही प्रतिबंद लगाने की तैयारी के बीच आया है.
- UAPA यानी गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 3 (1) के तहत यह कड़ा प्रतिबंध लगाया जा सकता है. इस कानून के मुताबिक, अगर केंद्र सरकार को लगता है कि कोई संगठन एक गैर-कानूनी संगठन है या बन गया है, तो वह आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा ऐसे संगठन को यूएपीए के तहत गैर-कानूनी घोषित कर सकती है.
- जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट यानी जेकेएलएफ पर भी सरकार यूएपीए के तहत पाबंदी लगा चुकी है. इसके नेता यासीन मलिक पर भी कई गंभीर आरोप रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद देश विरोधी गतिविधियों के आरोपों को लेकर इस संगठन पर शिकंजा कसा गया है.
- हुर्रियत कान्फ्रेंस का गठन 1993 में किया गया था. इसमें पाकिस्तान समर्थक जमात ए इस्लामी, जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट, दुख्तरान ए मिल्लत जैसे प्रतिबंधित संगठनों समेत 26 समूह शामिल हुए थे. इसमें पीपुल्स कान्फ्रेंस और अवामी ऐक्शन कमेटी भी शामिल थीं.
- हुर्रियत कान्फ्रेंस 2005 में दो धड़ों में बंट गई. इसमें मीर वाइज उमर फारूक के नेतृत्व में उदारवादी धड़ा और सैय्यद अली शाह गिलानी की अगुवाई में कट्टरपंथी धड़ा शामिल है.
- केंद्र सरकार ने आतंकी फंडिंग के आऱोप में जमात ए इस्लामी पर सितंबर 2019 में प्रतिबंध लगा दिया था. इस संगठन पर 5 साल की पाबंदी लगाई गई थी. गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) केतहत यह कार्रवाई की गई थी.
- जम्मू-कश्मीर में अल बद्र नाम के संगठन पर भी आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में प्रतिबंध लगा हुआ है. माना जाता है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर यह संगठन बना था. यह संगठन सैय्यद सलाउद्दीन की अगुवाई वाले यूनाइटेड जेहाद काउंसिल का भी हिस्सा रहा है.
- गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर ऐसे 35 प्रतिबंधित संगठनों की सूची जारी की गई है, जिन्हें गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम ) कानून यानी यूएपीए के तहत प्रतिबंधित किया गया है. इसमें कई संगठन जम्मू-कश्मीर में सक्रिय रहे हैं. इनमें कई खालिस्तान या नक्सली संगठन भी शामिल हैं.
- केंद्र सरकार ने हिज्ब उल मुजाहिदीन, जैश ए मोहम्मद, लश्कर ए तैयबा के अलावा जम्मू-कश्मीर इ्स्लामिक फ्रंट, अल उमर मुजाहिदीन जैसे संगठनों पर भी पाबंदी लगा रखी है, जो कश्मीर क्षेत्र में देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए गए हैं.
- इसके अलावा जमीयत उल मुजाहिदीन, दुख्तरान ए मिल्लत और इंडियन मुजाहिदीन और आईएसआईएस से जुड़े तमाम कट्टरपंथी इस्लामिक संगठनों को भी इस दायरे में रखा गया है. इन्हें किसी भी तरह की कोई गतिविधियां चलाने की इजाजत नहीं है.