सलमान को क्यों मिल गई 3 घंटे में जमानत

नई दिल्‍ली:

बॉलीवुड के दबंग सलमान खान को पांच साल की सजा सुनाने के बाद तीन घंटे के भीतर ही बोंबे हाईकोर्ट के अंतरिम जमानत देने पर सवाल उठ रहे हैं।

इस मामले को लेकर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी दाखिल की गई है। एक तरफ कहा जा रहा है कि सेलीब्रिटी होने की वजह से हाईकोर्ट ने इतनी तेजी दिखाई तो दूसरी तरफ सलमान की वकालत करने वालों की भी अपनी दलीलें हैं। लेकिन हाईकोर्ट के दो दिन के अंतरिम जमानत के आदेश में साफ लिखा है कि सेशन कोर्ट के आदेश ना मिलने की वजह से अंतरिम जमानत दी जा रही है।

सलमान के वकील हरीश साल्वे भी इसी बात पर कायम हैं कि जब अदालत ने सजा का ऐलान किया तो जजमेंट की कॉपी दी जानी चाहिए थी। इसीलिए उन्होंने सीधे सीधे इस मामले में हाइकोर्ट का रुख किया और इस मामले में सारी जानकारी हाइकोर्ट को दी। और हाइकोर्ट में जस्टिस अभय थिप्से ने इस बात को स्वीकार किया कि दोषी को जजमेंट की कॉपी दी जानी चाहिए और ये बात अपवने आदेश में भी लिखी है।

इधर, इस मामले में मुंबई के ही एक वकील अखिलेश चौबे ने भी सुप्रीम कोर्ट में सलमान को जमानत दिए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। गुरुवार सुबह इस मामले को चीफ जस्टिस के सामने उठाया गया। याचिकाकर्ता का कहना है कि सलमान को जिस तरीके से जमानत दी गई है, वो आम लोगों को नहीं दी जाती।

हाइकोर्ट ऐसे मामलों में उनके मुव्वक्किल को छुटि्टयों के बाद आने के लिए कह रहा है जबकि सलमान को 3 घंटे में जमानत दी गई। याचिका में कहा गया है कि अगर जजमेंट की कॉपी ना मिलना जमानत का आधार बनता है, तो ऐसे में इसका फायदा सभी को मिलना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामलों में कोई गाइडलाइन जारी करे ताकि आम लोगों को भी इसका फायदा मिल सके।

वैसे देखा जाए तो शुक्रवार को जजमेंट की कॉपी के साथ सलमान के वकील हाइकोर्ट पहुंचेंगे और फिर हाइकोर्ट उनकी अपील पर सुनवाई करेगा। जाहिर है सलमान बड़े सेलीब्रिटी हैं, ऐसे में उनके लिए कुछ अच्छा हो या बुरा, दोनों मामलों में सवाल उठना लाजिमी है।

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गौरतलब है कि कुछ दिन पहले एक चर्चित मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमारे देश में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम है, यानी आखिरी तक किसी आरोपी की बात को सुना जाता है। यहां भी ये बात लागू होती है। अगर कोर्ट ने किसी को दोषी ठहराया और सजा के लिए बहस हो रही है लेकिन दोषी को उस वक्त ये पता ही नहीं कि किन आधार पर उसे दोषी करार दिया गया है।