पढ़ें, एक 25 वर्षीय युवक की आप बीती, जो आईएस के लिए लड़ने निकला था, और वापस आ गया

पढ़ें, एक 25 वर्षीय युवक की आप बीती, जो आईएस के लिए लड़ने निकला था, और वापस आ गया

एनडीटीवी के सुधी रंजन सेन से बात करता अनवर (छिपा चेहरा)

नई दिल्ली:

पिछले साल करीब इसी समय, 25 साल का अनवर (बदला हुआ नाम), मुंबई एयरपोर्ट से दुबई के लिए निकला। उसका मकसद तुर्की पहुंचना था, ताकि वह सीरिया में जाकर आईएस के लिए लड़ाई लड़ सके।

फर्जी कंपनी के नाम पर तैयार हुए कागजात
एक फर्जी कंपनी के बिसनेस एक्जीक्यूटिव के प्रतिनिधि के तौर पर अनवर की यात्रा के पूरी कागजात तैयार किए गए थे। यह सारा काम आईएस के भारत के एजेंट ने ऐसा करवा के दिया था कि मुंबई एयरपोर्ट पर भी उससे कोई सवाल नहीं किया गया। उसके वीजा पर ऐसे स्टैंप लगे थे कि कोई सवाल ही पूछा गया। अनवर के पास कंप्यूटर में डिप्लोमा है।

सारा प्रबंध आईएस के लोग कर रहे थे
अनवर ने बताया कि दुबई में आईएस से सहानुभूति रखने वाले लोगों ने ठहरने से लेकर खाने पीने का पूरा इंतजाम कर रखा था।

भारतीय दूतावास की मदद
अनवर ने एनडीटीवी से बताया कि वह सीथे सीरिया नहीं पहुंचा। उससे इस्तांबुल की सुलेमान मस्जिद में प्रार्थना के बाद आईएस की सेना के कुछ लोग मिले। लेकिन तब तक उसका इरादा बदल चुका था। अनवर ने बताया, 'वहां से मैं तब भाग निकला जब बाकी लोग सो रहे थे। मैं सीधे भागकर अंकारा स्थित भारतीय दूतावास पहुंचा। जहां से उन लोगों ने मेरे भारत लौटने में मदद की।'

क्यों हुआ बदलाव
अब सुरक्षा एजेंसियों के कार्यक्रम में अनवर ने बताया कि वह क्यों आखिरी क्षण में वापस आ गया। सीरिया से कुछ किलोमीटर की दूरी पर पहुंचकर उसका हृदय परिवर्तन क्यों हो गया। उसने बताया कि वहां पर आईएस के लोग उससे अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे थे और फिर मुझे घर की याद आने लगी थी।

अनवर अब अपने घर पर परिवार के साथ रह रहा है। जांच एजेंसियों का कहना है कि जब तक आईएस के एजेंट कोई अपराध करते नहीं पकड़ में आते तब तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।

तमाम युवा सरकार की सुधारवादी कार्यक्रम का हिस्सा हैं
एनडीटीवी को मिली जानकारी के अनुसार करीब 70 लोग जिनमें से अधिकतकर 20 और 30 की उम्र के बीच हैं, सुरक्षा एजेंसियों द्वारा चलाई जा रही सुधारवादी योजनाओं का हिस्सा हैं।

ऐसी होती है आईएस के लिए चयन की प्रक्रिया
अनवर ने एनडीटीवी से बात करने के लिए हामी भर दी लेकिन कैमरे पर नहीं। उसने बताया कि करीब दो साल पहले वह एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम आईएस के संपर्क में आया और एक टेलेंट हंट के बाद चेन्नई में उससे आईएस के लोग मिले।

पढ़े लिखे लोग हैं निशाने पर
उसने बताया कि ये लोग पढ़े लिखे लोगों के पास जाते है जिन्हें अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर जानकारी होती है और जो धार्मिक होते हैं। अनवर ने बताया कि मेरी इस्लाम में रुचि थी और मैं ईरान, इराक और सीरिया की घटनाओं से वाकिफ था।

क्या-क्या दिया जाता है लालच
उसने बताया कि करीब 11 महीनों के बाद आईएस के लोगों की बात पर मैं राजी हुआ कि सीरिया में इस्लाम के लिए लड़ाई लड़ी जानी चाहिए। अनवर ने कहा कि उसे आईएस की सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल का ओहदा दिए जाने की बात कही गई थी।

इतना ही नहीं इन लोगों ने एक खूबसूरत सीरियाई महिला से शादी करवाने और यदि लड़ाई में कुछ हो जाता है तो परिवार की देखभाल का भरोसा भी दिए जाने की बात बताई। इसके अलावा भारत में कागजात तैयार करवाने के लिए एक लाख रुपये दिए जाने की बात भी अनवर ने बताई।

भारत सरकार नकारती है हकीकत
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार भले इस बात को न स्वीकारे की आईएस की भारत में पैठ बन रही है, लेकिन यह सही है कि करीब 70 युवा जिनमें इंजीनियर, डॉक्टर, सीए आदि शामिल हैं, आईएस के लिए लड़ने के लिए इच्छा रखते हैं। इसके अलावा करीब 60 अन्य लोगों को विभिन्न एयरपोर्ट पर रोका जा चुका है जो आईएस की लड़ाई के लिए जा रहे थे।

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इसके पहले बेंगलूर में जन्में कफील अहमद नाम सामने आया था जो अलकायदा के लिए के लिए लड़ने गया था। 2007 में स्कॉटलैंड के ग्लैसगो एयरपोर्ट पर हुए आतंकी हमले के लिए अहमद को दोषी बताया जा रहा है।