पुणे:
पुणे में सेना से रिटायर फौजियों को लगभग सभी बड़े निजी अस्पतालों में इलाज मुश्किल हो गया है। इलाज करवाने के लिए उन्हें अपनी जेब से पैसे भरने पड़ रहे हैं।
अस्पतालों का कहना है कि रिटायर फौजियों के इलाज में उनके करोड़ों रुपये रक्षा मंत्रालय के पास बकाया हैं।
पुणे के लगभग सभी बड़े निजी अस्पतालों ने इसीएचएस के तहत कैशलेस सुविधा रिटायर्ड फौजियों को देने से इनकार कर दिया है।
मुंबई में भी कमोबेश हालात ऐसे ही हैं। अस्पतालों का कहना है कि रिटायर फौजियों के इलाज में उनके करोड़ों रुपये रक्षा मंत्रालय के पास बकाया हैं जबकि मंत्रालय का कहना है कि अस्पताल स्कीम के तहत 2 फीसदी भुगतान के साथ बिल क्लीयर होने की बात पर सहमत हुए थे, लेकिन अब वे अपने वायदे से पलट रहे हैं।
मंत्रालय और अस्पतालों के बीच रस्साकशी का असर पुणे में इस स्कीम के तहत आने वाले 1 लाख रिटायर फौजियों और उनके परिवार पर पड़ रहा है।
अस्पतालों का कहना है कि रिटायर फौजियों के इलाज में उनके करोड़ों रुपये रक्षा मंत्रालय के पास बकाया हैं।
पुणे के लगभग सभी बड़े निजी अस्पतालों ने इसीएचएस के तहत कैशलेस सुविधा रिटायर्ड फौजियों को देने से इनकार कर दिया है।
मुंबई में भी कमोबेश हालात ऐसे ही हैं। अस्पतालों का कहना है कि रिटायर फौजियों के इलाज में उनके करोड़ों रुपये रक्षा मंत्रालय के पास बकाया हैं जबकि मंत्रालय का कहना है कि अस्पताल स्कीम के तहत 2 फीसदी भुगतान के साथ बिल क्लीयर होने की बात पर सहमत हुए थे, लेकिन अब वे अपने वायदे से पलट रहे हैं।
मंत्रालय और अस्पतालों के बीच रस्साकशी का असर पुणे में इस स्कीम के तहत आने वाले 1 लाख रिटायर फौजियों और उनके परिवार पर पड़ रहा है।