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This Article is From Dec 17, 2018

1984 दंगे: बेटी की दर्दनाक दास्तां- बचने को पिता नाले में कूद गए थे, पर भीड़ ने बाहर निकाल जिंदा जलाया, फिर भी नहीं मरे तो छिड़का फास्फोरस

गुस्साई भीड़ ने दिल्ली के राजनगर में एक दिसंबर 1984 को गुरुद्वारे के पास जिंदा जला दिया था.

1984 दंगे: बेटी की दर्दनाक दास्तां- बचने को पिता नाले में कूद गए थे, पर भीड़ ने बाहर निकाल जिंदा जलाया, फिर भी नहीं मरे तो छिड़का फास्फोरस
कोर्ट के फैसले के बाद मीडिया से बात करती पीड़िता.
नई दिल्ली: 1984 सिख विरोधी दंगों की पीड़िता निरप्रीत कौर की उम्र उस वक्त 16 साल थी, जब उसके सामने ही उसके पिता को जिंदा जला डाला गया था. गुस्साई भीड़ ने दिल्ली के राजनगर में एक दिसंबर 1984 को गुरुद्वारे के पास जिंदा जला दिया था. कौर के पिता निर्मल सिंह एक गुरुद्वारे में ग्रंथी थे. सोमवार को जब दिल्ली हाईकोर्ट ने सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई तो कौर मीडिया से बात करते-करते रो पड़ीं. 

कुमार को राजनगर में एक परिवार के पांच लोगों की हत्या करने और गुरुद्वारे को आग लगाने का दोषी करार दिया गया. कौर ने टूटी हुई जुबान में मीडिया से कहा, 'मुझे 34 साल बाद न्याय मिला है. अब वह (सज्जन कुमार) जेल जाएगा.'

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207 पेज के फैसले में गवाहों के हवाले से लिखा गया है कि उस दिन सुबह क्या हुआ था. निरप्रीत के पिता निर्मल सिंह पर केरोसिन डाल दिया गया था. जब भीड़ को माचिस नहीं मिली तो एक पुलिसकर्मी चिल्लाया और उनमें से एक को माचिस दे दी और फिर उन्हें आग लगा दी गई. निर्मल सिंह इसके बाद नाले में कूद गए. भीड़ ने बाद में उन्हें एक खंभे से बांध दिया, जब देखा कि अभी वे जिंदा हैं तो उन्हें फिर आग के हवाले कर दिया. लेकिन निर्मल सिंह फिर नाले में कूद गए. सिंह की बेटी ने देखा कि इसके बाद भीड़ वापस आती है और उस पर रॉड से हमला कर देती है. इसके बाद भीड़ में किसी एक ने सिंह पर सफेद पाउडर (फास्फोरस) छिड़क दिया, जिससे उनका पूरा शरीर जल गया.

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निरप्रीत का कहना है कि उसके पिता की हत्या के एक दिन बाद उस इलाके से सांसद सज्जन कुमार ने भाषाण दिया कि जो भी हिंदू सिखों को बचा रहे हैं, उन्हें मार देना चाहिए. कौर ने बताया, 'मैंने देखा कि सज्जन कुमार भाषण दे रहे कि इंदिरा गांधी को मारने वाला एक भी सरदार नहीं बचना चाहिए. उसके बाद से मेरी जिंदगी नरक बन गई.'

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