कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
हिमाचल प्रदेश सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर एक केस को वापस ले लिया. इस केस में हिमाचल सरकार ने कहा था कि वह किन्नौर घाटी में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के लिए आदिवासियों की सहमति नहीं ले सकती, क्योंकि ये आदिवासी स्थानीय ग्रामीण और अकुशल लोग हैं.
अब बताया जा रहा है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के दखल के बाद हिमाचल सरकार ने केस वापस लिया है, हिमाचल में कशांग 130 मेगावाट के हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए आदिवासियों की सहमति नहीं ली गई, जिनका जीवन इस प्रोजेक्ट से प्रभावित हो रहा है.
ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस साल मई में फॉरेस्ट राइट्स एक्ट के तहत 19 ग्राम सभाओं की अनुमति लेने को कहा था.राज्य सरकार इस फैसले के खिलाफ कोर्ट गई. यह मामला कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी पार्टी के लिए शर्मिंदगी की वजह बन सकता था क्योंकि कांग्रेस छत्तीसगढ़-झारखंड जैसे राज्यों में आदिवासी अधिकारों के हनन के लिए बीजेपी को घेरती रही है. ओडिशा के नियामगिरी में जाकर तो राहुल गांधी ने आदिवासियों से यह तक कहा था कि वह दिल्ली में उनके सिपाही हैं. इस खबर के मीडिया में आने के बाद कांग्रेस पार्टी के कान खड़े हुए और बताया जा रहा है कि राहुल गांधी के दखल के बाद हिमाचल सरकार पीछे हटी है. हिमाचल पावर कॉर्पोरेशन की ओर से वकील सलमान खुर्शीद ने राज्य सरकार की याचिका वापस ले ली, जिसके बाद यह केस बंद कर दिया गया है.
पूरा मामला पढ़ें- अब एक कांग्रेस सरकार ही खड़ी हो गई है आदिवासी अधिकारों के खिलाफ...!
अब बताया जा रहा है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के दखल के बाद हिमाचल सरकार ने केस वापस लिया है, हिमाचल में कशांग 130 मेगावाट के हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए आदिवासियों की सहमति नहीं ली गई, जिनका जीवन इस प्रोजेक्ट से प्रभावित हो रहा है.
ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस साल मई में फॉरेस्ट राइट्स एक्ट के तहत 19 ग्राम सभाओं की अनुमति लेने को कहा था.राज्य सरकार इस फैसले के खिलाफ कोर्ट गई. यह मामला कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी पार्टी के लिए शर्मिंदगी की वजह बन सकता था क्योंकि कांग्रेस छत्तीसगढ़-झारखंड जैसे राज्यों में आदिवासी अधिकारों के हनन के लिए बीजेपी को घेरती रही है. ओडिशा के नियामगिरी में जाकर तो राहुल गांधी ने आदिवासियों से यह तक कहा था कि वह दिल्ली में उनके सिपाही हैं. इस खबर के मीडिया में आने के बाद कांग्रेस पार्टी के कान खड़े हुए और बताया जा रहा है कि राहुल गांधी के दखल के बाद हिमाचल सरकार पीछे हटी है. हिमाचल पावर कॉर्पोरेशन की ओर से वकील सलमान खुर्शीद ने राज्य सरकार की याचिका वापस ले ली, जिसके बाद यह केस बंद कर दिया गया है.
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