अहमदाबाद:
गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को यह कहते हुए आड़े हाथ लिया कि उसके पुलिस के कुछ आला अधिकारी 2004 के इशरत जहां मुठभेड़ मामले में आरोपी पुलिसकर्मियों को बचा रहे हैं और उनका साथ दे रहे हैं।
न्यायमूर्ति जयंत पटेल और न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी की खंडपीठ ने कहा, ‘यह बात मौजूदा जांच के रिकार्ड में आई है कि राज्य पुलिस के कुछ आला अधिकारी मामले में आरोपी पुलिस अधिकारियों को संरक्षण दे रहे हैं, बचा रहे हैं और साथ दे रहे हैं।’
पीठ ने यह बात सीबीआई के इस अनुरोध की सुनवाई करते हुए कही कि आईपीएस अधिकारी सतीश वर्मा की सेवाओं को 30 जून तक के लिए आगे बढ़ा दिया जाए।
अदालत ने सीबीआई द्वारा मामले की जांच के बारे में सौंपी गई प्रगति रिपोर्ट पर गौर करने के बाद यह बात कही। यह रिपोर्ट अदालत को गुरुवार को सीलबंद लिफाफे सौंपी गई।
पीठ ने सीबीआई के लिए वर्मा की सेवा दिए जाने के बारे में आपत्ति जताने के लिए राज्य सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए। उसने कहा, ‘हम यह समझने में विफल रहे कि क्यों राज्य उसके आईपीएस अधिकारी की सेवाएं सीबीआई को देने का विरोध कर रहा है। राज्य सरकार इस बारे में क्यों आपत्ति कर रहा है और क्यों अड़चन डाल रहा है। राज्य सरकार को यह यह पता लगाने का प्रयास करना चाहिए कि कौन वास्तविक दोषी है और उनके खिलाफ यथाशीघ्र मामला दर्ज होना चाहिए।’
अदालत ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह 13 जून तक उसकी प्रगति रिपोर्ट सौंपे। इस मामले की अगली सुनवाई 14 जून को होना निर्धारित है। तब तक इस मामले की जांच में वर्मा की सीबीआई को दी जा रही सेवा का विस्तार कर दिया गया है।
15 जून 2004 को इशरत जहां का अहमदाबाद के बाहरी क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में जावेद शेख उर्फ प्राणेष पिल्लै, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर के साथ मार दिया गया था।
उस समय गुजरात पुलिस ने दावा किया था कि सभी चारों लोग आतंकवादी थे जो मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को मारने के लिए शहर में आए थे।
न्यायमूर्ति जयंत पटेल और न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी की खंडपीठ ने कहा, ‘यह बात मौजूदा जांच के रिकार्ड में आई है कि राज्य पुलिस के कुछ आला अधिकारी मामले में आरोपी पुलिस अधिकारियों को संरक्षण दे रहे हैं, बचा रहे हैं और साथ दे रहे हैं।’
पीठ ने यह बात सीबीआई के इस अनुरोध की सुनवाई करते हुए कही कि आईपीएस अधिकारी सतीश वर्मा की सेवाओं को 30 जून तक के लिए आगे बढ़ा दिया जाए।
अदालत ने सीबीआई द्वारा मामले की जांच के बारे में सौंपी गई प्रगति रिपोर्ट पर गौर करने के बाद यह बात कही। यह रिपोर्ट अदालत को गुरुवार को सीलबंद लिफाफे सौंपी गई।
पीठ ने सीबीआई के लिए वर्मा की सेवा दिए जाने के बारे में आपत्ति जताने के लिए राज्य सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए। उसने कहा, ‘हम यह समझने में विफल रहे कि क्यों राज्य उसके आईपीएस अधिकारी की सेवाएं सीबीआई को देने का विरोध कर रहा है। राज्य सरकार इस बारे में क्यों आपत्ति कर रहा है और क्यों अड़चन डाल रहा है। राज्य सरकार को यह यह पता लगाने का प्रयास करना चाहिए कि कौन वास्तविक दोषी है और उनके खिलाफ यथाशीघ्र मामला दर्ज होना चाहिए।’
अदालत ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह 13 जून तक उसकी प्रगति रिपोर्ट सौंपे। इस मामले की अगली सुनवाई 14 जून को होना निर्धारित है। तब तक इस मामले की जांच में वर्मा की सीबीआई को दी जा रही सेवा का विस्तार कर दिया गया है।
15 जून 2004 को इशरत जहां का अहमदाबाद के बाहरी क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में जावेद शेख उर्फ प्राणेष पिल्लै, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर के साथ मार दिया गया था।
उस समय गुजरात पुलिस ने दावा किया था कि सभी चारों लोग आतंकवादी थे जो मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को मारने के लिए शहर में आए थे।
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