
प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बुधवार को राज्य सरकार को सेवानिवृत्त प्रोफेसर से पर्यावरणविद् और संन्यासी बने ज्ञानस्वरूप सानंद को 12 घंटे के भीतर रिहा करने और गंगा पर बन रही जलविद्युत परियोजनाओं को रोके जाने की उनकी मांग के पीछे का औचित्य पता लगाने को कहा है. न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने आदेश दिया कि मुख्य सचिव और सानंद के बीच 12 घंटे के भीतर एक बैठक कराई जाए और उन्हें रखे जाने वाले स्थान के बारे में भी खुलासा किया जाए.अदालत ने अपने आदेश में कहा कि प्रमुख सचिव, गृह, सानंद की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होंगे.
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सानंद को चिकित्सा जांच के लिए एम्स में भर्ती किया जाए और अगर उन्हें चिकित्सकीय निगरानी की जरूरत हो तो राज्य सरकार को खर्च वहन करना होगा, अन्यथा उन्हें मातृ सदन वापस भेज दिया जाना चाहिए. गत 22 जून से हरिद्वार के मातृ सदन आश्रम में उपवास कर रहे सानंद की कल हालत बिगड़ गयी थी जिसके बाद उन्हें पुलिस जबरन उठाकर किसी अज्ञात स्थान पर ले गयी थी.
VIDEO: फिर गरमाया मराठा आरक्षण का मामला.
अदालत ने यह भी कहा कि सानंद 86 वर्ष के संन्यासी हैं जो आईआईटी कानपुर में वैज्ञानिक और प्रोफेसर रहे हैं. उन्होंने अपना जीवन गंगा के संरक्षण और सुरक्षा में लगा दिया है. (इनपुट भाषा से)
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अदालत ने यह भी कहा कि सानंद 86 वर्ष के संन्यासी हैं जो आईआईटी कानपुर में वैज्ञानिक और प्रोफेसर रहे हैं. उन्होंने अपना जीवन गंगा के संरक्षण और सुरक्षा में लगा दिया है. (इनपुट भाषा से)
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