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This Article is From Oct 08, 2019

सरकारी कंपनी ने हेलीकॉप्टर रिपेयरिंग के लिए रूस की जगह इंडोनेशिया की कंपनी को भेजे करोड़ों रुपये, CBI ने दर्ज किया केस

आरोप है कि 20 मई, 2015 को पवन हंस ने तीन एम-172 हेलीकॉप्टरों के इंजन की देखभाल और मरम्मत के लिए रूसी फर्म क्लिमोव जेएससी के साथ समझौता किया था.

सरकारी कंपनी ने हेलीकॉप्टर रिपेयरिंग के लिए रूस की जगह इंडोनेशिया की कंपनी को भेजे करोड़ों रुपये, CBI ने दर्ज किया केस
पवन हंस कंपनी को देने थे पैसे
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
2015 का है पूरा मामला
कंपनी के अधिकारी से हो रही है पूछताछ
एक करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम भेजी गई थी
नई दिल्ली:

सीबीआई (CBI) ने पब्लिक सेक्टर हेलीकॉप्टर सर्विस कंपनी पवन हंस लिमिटेड (Pawan Hans) के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. दरअसल, पवन हंस लिमिटेड पर आरोप है कि उसने एमआई-172 इंजन की मरम्मत के लिए रूस के एक फर्म को दी जाने वाली 1.85 करोड़ रुपये की राशि इंडोनेशिया की एक कंपनी के खाते में डाला. आरोप है कि 20 मई, 2015 को पवन हंस ने तीन एम-172 हेलीकॉप्टरों के इंजन की देखभाल और मरम्मत के लिए रूसी फर्म क्लिमोव जेएससी के साथ समझौता किया था. सीबीआई अधिकारी ने बताया कि यह पूरा ठेका 9 करोड़ रुपये का था.

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उन्होंने बताया कि ठेके के अनुसार पवन हंस को रूसी कंपनी को 30 प्रतिशत राशि यानी 1.85 करोड़ रुपये एडवांस में देने थे. क्लिमोव ने 19 जून, 2015 को एक इनवायस भेजा जिसके हिसाब से यह राशि न्यूयॉर्क के जेपी मॉर्गन चेस बैंक में जमा होनी थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. रूसी कंपनी ने पवनहंस को सूचित किया कि राशि उनके खाते में जमा नहीं हुई है. इसके बाद ही यह पूरा मामला सामने आया. 

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पवन हंस कंपनी से मामले को लेकर पूछताछ के दौरान पता चला कि कंपनी के अधिकारियों को पेमेंट करने को लेकर क्लिमोव जेएससी की तरफ से एक 12 दिसंबर 2015 को एक ईमेल मिला था. यह मेल service@klimov.ru आईडी से आया था. रूस की कंपनी ने उस दौरान अपनी ऑफशोर कंपनी में पेमेंट करने को कहा गया था. इसकी वजह प्रमुख कंपनी में चल रहे ऑडिटिंग के काम को बताया गया था. लेकिन इस पूरे फर्जीवाड़े का पता तब चला जब संबंधित रूसी कंपनी ने पवन हंस से संपर्क कर कहा कि उन्हें अभी तक उनका पैसा एडवांस में नहीं मिला है. सीबीआई फिलहाल इस पूरे मामले की जांच कर रही है. 

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