Hathras Case CBI चार्जशीट : जानिए 14 सितंबर को आखिर गैंगरेप पीड़िता के साथ क्या हुआ?

चार्जशीट में सीबीआई ने पीड़िता के 22  तारीख को दिए गये उसके आखिरी बयान को ही  dying declaration माना है. जिसके आधार पर आरोपियों के खिलाफ गैंगरेप, मर्डर और SC/ST एक्ट में केस दर्ज किया गया है.

Hathras Case CBI चार्जशीट : जानिए 14 सितंबर को आखिर गैंगरेप पीड़िता के साथ क्या हुआ?

सीबीआई ने चारों आरोपियों पर गैंगरेप और हत्या की धाराओं में केस दर्ज किया (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई (CBI) ने शुक्रवार को हाथरस गैंगरेप केस (Hathras Gangrape Case) में चारों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की. चार्जशीट में सीबीआई ने पीड़िता के 22  तारीख को दिए गये उसके आखिरी बयान को ही  मृत्यु से ठीक पहले दिया गया बयान (Dying Declaration) माना है. जिसके आधार पर आरोपियों के खिलाफ गैंगरेप, मर्डर और SC/ST एक्ट में केस दर्ज किया गया है. चार्जशीट के कुछ महत्वपूर्ण पन्नों से ये जानकारियां सामने आई हैं. 

14 सितंबर 2020 को आखिर क्या हुआ था?

आरोपपत्र के मुताबिक, सबसे पहले 14 सितंबर की सुबह साढ़े 10 बजे हाथरस के चंदपा थाने में पीड़िता के बड़े भाई सतेंद्र की शिकायत पर धारा 307 और SC/ST एक्ट के तहत एफआईआर नंबर 136/2020 दर्ज की गई, जिसमें सतेंद्र कुमार ने आरोप लगाया था कि सुबह तकरीबन 7:30 बजे मैं, मेरी बहन और मां तीनों खेत से घास काटने के लिए गए थे. मैं घास का बंडल लेकर वापस आ गया था. इसी बीच, जब मेरी मां घास काट रही थी, मेरी बहन से थोड़ी दूरी पर, आरोपी संदीप ने उसका गला दबाने की कोशिश की. पूरी घटना को अंजाम बाजरे की खेत में दिया गया और मेरी बहन को जान से मारने की कोशिश की गई. मेरी बहन चीखती रही उसकी चीखें सुनकर जब मेरी मां मौके पर पहुंची तो वहां से संदीप भाग चुका था. 

सीबीआई को केस ट्रांसफर
यह पूरी घटना करीब 9:30 बजे की है. हम बाल्मीकि कम्युनिटी से ताल्लुक रखते हैं. चार्जशीट में लिखा गया है की शुरुआत में सीओ सादाबाद के निरीक्षण में पूरे मामले की जांच चली जिसके बाद केस सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया. सीबीआई ने 11 अक्टूबर को मुकदमा दर्ज किया और जांच शुरू कर दी. चार्जशीट में लिखा गया है कि केस से जुड़े तमाम कागजात, लोकल पुलिस की केस डायरी, वह तमाम चीजें जो कि केस से जुड़ी हुई थी सभी लोकल पुलिस और प्रशासन ने सीबीआई को सौंप दी. 

मां के साथ घास काटने गई थी पीड़िता
चार्जशीट के मुताबिक, सीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि 14 सितंबर की सुबह तकरीबन 7:30 बजे पीड़िता अपनी मां और बड़े भाई के साथ मिलकर खेत में घास काटने के लिए गई थी. शुरुआत में पता चला कि तीनों गांव के ही सरकारी अस्पताल के पीछे एक 200 मीटर के एरिया में घास काट रहे थे. पीड़िता की मां वहां से कुछ दूरी पर एक दूसरे खेत में घास काटने के लिए चली गई, पीड़िता का भाई घर में पशुओं के लिए चारे का बंडल बांधकर घर के लिए रवाना हो गया. पीड़िता अपनी मां के पास उस जगह पहुंची, जहां उसकी मां घास काट रही थी. 

घास कटाने में जताई थी असमर्थता
चार्जशीट में लिखा है कि पीड़िता की मां ने पीड़िता को घास काटने के लिए बोला, लेकिन पीड़िता ने मां को बोला कि उसे थकान और प्यास महसूस हो रही है इसलिए वह घास नहीं काट सकेगी. तभी पीड़िता की मां ने पीड़िता को घास का वो बंडल बांधने के लिए कहा जिसे वह काट चुकी थी. मां वहां से 50 मीटर दूर दूसरे खेत में घास काटने लगी. इसी बीच पीड़िता घास के बंडल बांध रही थी. 

मां वापस लौटी तो गायब मिली पीड़िता 
कुछ देर घास काटने के बाद पीड़िता की मां जब उसी जगह वापस पहुंची जहां उसने पीड़िता को छोड़ा था तो उसने देखा पीड़िता वहां पर नहीं है. पीड़िता गायब थी, पीड़िता की मां ने पीड़िता को तलाशना शुरू किया, तभी उनकी नजर पीड़िता की चप्पल पर पड़ी जो कि खेतों में बनी मेढ़ के पास पड़ी हुई थी. पीड़िता की मां ने देखा कि बाजरे के खेत में बेटी बेसुध पड़ी हुई थी. इसी बीच गांव में रहने वाला एक लड़का छोटू वहां अचानक पहुंच गया. छोटू को मां ने पीड़िता के बड़े भाई को घर से बुलाने के लिए कहा. इसी बीच पीड़िता को उसकी मां घसीटते हुए मेड के पास लेकर आई और उसको वहां लेटा दिया. 

पहचान वाले शख्स के हाथ घर भिजवाई सूचना
खेत से घर जाने के रास्ते में छोटू ने गांव में ही रहने वाली मुन्नी देवी और इसी केस में एक आरोपी लवकुश को भी घटना के बारे में बताया, जो कि एक अन्य खेत में घास काट रहे थे. वहां से पीड़िता और उसकी मां की दूरी तकरीबन 100 मीटर की थी. छोटू ने घर जाकर पीड़िता के बड़े भाई की 5 साल की बेटी को सारी बात बताई और घर में अपने पिता को भी जानकारी देने की बात कही. जिसके बाद छोटू सीधा अपने घर के लिए रवाना हो गया. छोटू ने तुरंत अपने घर जाकर भी सारी बात अपने बड़े भाई और मां को भी बताई. छोटू का बड़ा भाई भी तुरंत मौका-ए-वारदात के लिए रवाना हो गया. 

मेड़ के पास बेसुध हालत में मिली पीड़िता
छोटू के बड़े भाई ने घर से खेत की तरफ रवाना होते हुए रास्ते में यह बात अपने साले को भी बताई. रास्ते में उन्होंने पीड़िता के भाई को घर के बाहर खड़े हुए देखा तभी छोटू के बड़े भाई ने पीड़िता के भाई को बोला कि उसकी बहन की तबीयत खराब है. गांववाले और पीड़िता का बड़ा भाई जैसे ही घटनास्थल पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि पीड़िता पानी की मेड के पास बेसुध हालत में पड़ी हुई है. पीड़िता के बड़े भाई ने अपनी मां के साथ मिलकर तुरंत पीड़िता को अपनी मोटरसाइकिल पर बिठाया और सीधा चंदपा थाने के लिए रवाना हो गया.

पीड़िता की मां और भाई पहुंचे थाने
सुबह तकरीबन 9:14 पर पीड़िता का भाई और मां पीड़िता को थाने लेकर पहुंच चुके थे. इसी बीच पीड़िता के पिता, उसकी बहन और पीड़िता की दादी भी चंदपा थाने पहुंच गए. पीड़िता के भाई ने पीड़िता को थाने के चबूतरे पर लेटाया हुआ था. पीड़िता के भाई सत्येंद्र ने पुलिस को बताया कि गांव के ही रहने वाले संदीप ने पीड़िता को गला दबाकर जान से मारने की कोशिश की है. थाने में शिकायत लिखवाते वक़्त वहां पर एक पत्रकार भी मौजूद था, जिसकी मौजूदगी में यह बयान पीड़िता के भाई ने वहां पर दिए थे. पीड़िता के भाई और मां के बयान वहां मौजूद कुछ अन्य पत्रकारों ने भी और पुलिसकर्मियों ने भी मोबाइल पर रिकॉर्ड किए थे. 

अलीगढ़ रेफर किया गया
चार्जशीट में लिखा है कि जांच के दौरान पता चला कि पीड़िता को सबसे पहले हाथरस के जिला अस्पताल में सुबह 9:57 मिनट पर एक ऑटो के जरिए लेडी कॉन्स्टेबल की मौजूदगी में भेजा गया था. सुबह 11:35 पर पीड़िता को जिला अस्पताल में मौजूद डॉक्टर रमेश बाबू ने देखा और तुरंत अलीगढ़ अस्पताल के लिए रेफर कर दिया, लेकिन उस वक्त पीड़िता की हाथरस में कोई एमएलसी नहीं की गई थी. सुबह 12:10 पर पीड़िता को अलीगढ़ हॉस्पिटल के लिए रेफर किया गया था. 

सरकारी अस्पताल में रेप की पुष्टि नहीं
चार्जशीट में लिखा गया है कि 22 सितंबर को अलीगढ़ के सरकारी अस्पताल में पीड़िता का चेकअप किया गया था, जिसमें उसके साथ रेप की कोई पुष्टि नहीं की गई थी. साथ ही, यह लिखा गया था कि पीड़िता के गर्दन और पीठ में चोट है. जिस वक्त सीबीआई ने केस अपने हाथों में लिया उस वक्त एक मल्टी इंस्टीट्यूशनल मेडिकल बोर्ड गठित किया गया, जिसको एम्स के डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेंसिक मेडिसिन के डॉक्टर आदर्श कुमार ने लीड किया. उन्होंने अपनी राय दी कि पीड़िता के साथ सेक्सुअल एसॉल्ट की कोशिश को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता. हो सकता है कि समय पर फॉरेंसिक एग्जामिनेशन, रिपोर्टिंग और डॉक्यूमेंटेशन ना होने के कारण सेक्सुअल एसॉल्ट की पुष्टि नहीं हो पा रही है, लेकिन जिस तरीके से घटना के एक हफ्ते बाद भी पीड़िता को ब्लीडिंग हो रही है वह इस तरफ इशारा जरूर कर रही है. 

22 सितंबर को दर्ज हुआ आखिरी बयान 
इसी बीच इन्वेस्टिगेशन के दौरान यह भी पता चला कि डॉक्टर एमएस हुडा जोकि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टेक्नोलॉजी के हेड हैं उन्होंने जब पीड़िता की स्थिति को बिगड़ते हुए देखा था तो सीएमओ को तुरंत उसके डाईंग डिक्लेरेशन रिकॉर्ड करने के लिए बोला. तभी नायब तहसीलदार मनीष कुमार, तहसील कोल, अलीगढ़ के समक्ष पीड़िता के 22 सितंबर की शाम 5:40 पर आखिरी बयान दर्ज किए गए. जिसमें पीड़िता ने यह बात कबूली कि उसके साथ संदीप, रामू, रवि और लवकुश ने गैंगरेप जैसी संगीन वारदात को अंजाम दिया है. 

दिल्ली में पीड़िता ने तोड़ा दम
करीब 2000 पन्नो की चार्जशीट में लिखा है कि इसके बाद पीड़िता को सीधे अलीगढ़ से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में रेफर कर दिया गया क्योंकि उसकी स्थिति काफी ज्यादा बिगड़ रही थी. इलाज के दौरान 29 सितंबर की सुबह 6:55 पर पीड़िता ने सफदरजंग अस्पताल में आखिरी सांस ली. 

संदीप और पीड़िता के बीच रिश्तों का खुलासा
चार्जशीट में सीबीआई ने पीड़िता और संदीप के बीच रिश्तों का भी खुलासा किया. चार्जशीट में लिखा है कि जांच के दौरान पता चला कि आरोपी संदीप और अन्य आरोपियों का घर बुलगढ़ी गांव में पीड़िता के घर के नजदीक ही है. पिछले दो-तीन साल पहले पीड़िता और संदीप के बीच अफेयर शुरू हुआ था. जांच के दौरान यह भी पता चला कि पीड़िता और संदीप चोरी-छुपे सुनसान जगह पर मिलते भी थे, जिसकी तस्दीक सीबीआई के सामने गांववालों ने भी की. गांव वालों के बयान भी रिकॉर्ड किए गए हैं जिनमें ना सिर्फ पीड़िता के पड़ोसी शामिल हैं बल्कि आरोपी संदीप के कुछ दोस्तों के बयान भी दर्ज किए गए. 

करीब 6 महीने फोन पर हुई बात
आरोपी और पीड़िता की सीडीआर खंगालने पर पता चला कि अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 के बीच पीड़िता और संदीप के बीच काफी बातचीत हुई है. हालांकि यह बातचीत काफी छोटे-छोटे वक्त के लिए की गई. पीड़िता जिस नंबर पर बातचीत करती थी वह नंबर उसके परिवार के एक सदस्य के नाम पर था. यह बातें यह साबित करती हैं कि मार्च 2020 तक पीड़िता और संदीप दोनों एक दूसरे के लगातार संपर्क में थे, लेकिन उसके बाद पीड़िता और संदीप की कोई बातचीत के निशान नहीं दिखाई दिए. 

घरवालों को लगी अफेयर की खबर
सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, जब पीड़िता के परिवार को संदीप और उसके बीच की दोस्ती के बारे में या कहें रिश्तों के बारे में पता चला तो उसके बाद दोनों की बातचीत बंद हो गई थी, यानी उनके अफेयर पर डेंट पड़ गया था. पीड़िता की तरफ से मार्च 2020 के बाद आरोपी संदीप के नंबर पर कोई कॉल नहीं किया गया. हालांकि, संदीप लगातार अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के नंबर से पीड़िता से संपर्क करने की कोशिश करता रहा. 

दोस्त से फोन कर कॉन्फ्रेंस में लेने को कहा
चार्जशीट में लिखा है कि जांच के दौरान पता चला है कि आरोपी संदीप ने 3 अगस्त को अपने एक दोस्त भूदेव उर्फ पांडा को मोबाइल कॉल कर पीड़िता के नंबर पर उसे कॉन्फ्रेंस में जोड़ने के लिए बोला था. भूदेव ने तकरीबन चार बार पीड़िता के परिवार के नंबर पर कॉल किया लेकिन फोन नहीं उठा. भूदेव ने बताया कि वह संदीप और पीड़िता के बीच के रिश्तों के बारे में अच्छे से जानता था, इसीलिए वह मना नहीं कर पाया. 

आरोपी के दिमाग में पैदा हुआ शक
जांच के दौरान, भूदेव ने यह भी बताया कि मार्च के बाद से पीड़िता संदीप से बातचीत बिल्कुल बंद कर चुकी थी, उसके मोबाइल फोन से जो कॉल आते थे उनको भी नहीं उठाती थी. अचानक से पीड़िता के इस तरह के व्यवहार से संदीप काफी गुस्से में था और पीड़िता पर उसे शक होने लगा था कि पीड़िता का किसी अन्य लड़के के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा है. संदीप को शक था कि उसका अपनी बहन के पति या फिर उसके देवर के साथ अफेयर शुरू हो गया है. इसी बात ने आरोपी संदीप के दिमाग में शक पैदा कर दिया था.

घटनास्थल के आसपास ही थी आरोपियों की लोकेशन
जांच के दौरान, यह भी पता चला कि 22 सितंबर को पीड़िता ने अपनी डाईंग डिक्लेरेशन में जिन चार लड़कों का नाम लिया वे सभी बुलगढ़ी गांव में उसी जगा के आस-पास मौजूद थे जहां पीड़िता के साथ गैंगरेप जैसी घिनौनी वारदात को अंजाम दिया गया था. साथ ही 13 अक्टूबर से लेकर 6 नवंबर के बीच जितनी बार भी पीड़िता की मां को मौका-ए-वारदात पर ले जाकर उनसे सवाल-जवाब किए गए पीड़िता की मां ने एक ही बात बोली कि जिस वक्त उसने पीड़िता को देखा तो उसके कपड़े अस्त-व्यस्त थे पीड़िता बेहोशी की हालत में वहां पर पड़ी हुई थी. 

आरोपी संदीप के पास थे तीन नंबर
इन्वेस्टिगेशन के दौरान, यह भी पता चला कि आरोपी संदीप के पास तीन मोबाइल नंबर थे. यह तमाम बातें संदीप और पीड़िता की सीडीआर के बाद पता चली है. इन्वेस्टिगेशन के दौरान पता चला कि 17 अक्टूबर साल 2019 से लेकर 3 मार्च 2020 तक दोनों ने आपस में 105 कॉल किए थे, जिनमें से 39 कॉल संदीप ने पीड़िता के परिवार के एक नंबर पर की, उसके अलावा 66 कॉल पीड़िता की तरफ से संदीप के नंबर पर की गई. हालांकि, जब इस बारे में पीड़िता के परिवार वालों के बयान दर्ज किए गए तो उनका कहना था कि उन्होंने ना तो संदीप को कभी कॉल किया और ना ही उनके बीच में कोई बातचीत हुई है. 

दोनों परिवारों के बीच हुआ झगड़ा
इन्वेस्टिगेशन के दौरान पता चला कि जब पीड़िता के परिवार वालों को फोन कॉल्स के बारे में पता चला कि पीड़िता और संदीप आपस में बातचीत करते हैं तो दोनों परिवारों के बीच काफी झगड़ा भी हुआ था जिस बात की गवाही गांव के ही रहने वाले कुछ लोगों ने भी दी है. पीड़िता के पिता ने इस बात की शिकायत गांव के प्रधान के बेटे को भी की थी कि संदीप उनकी बेटी को फोन पर बातचीत करता है। जिसकी गवाही आस-पास के घरों में रहने वाले लोगों ने सीबीआई को दी. 

दोनों बीच फोन पर हुई थी लंबी बातचीत
चार्जशीट में लिखा है कि पीड़ित और आरोपी के मोबाइल नंबर की सीडीआर का एनालिसिस करने के बाद यह सामने आता है कि अक्टूबर 2019 से लेकर मार्च 2020 तक काफी छोटे कॉल यानि कम वक्त के कॉल पीड़िता की तरफ से आरोपी संदीप के नंबर पर किए गए. पीड़िता के नंबर पर या कहें उसके परिवारवालों के नंबर पर संदीप के लंबे कॉल होते थे, जो कि यह साबित करता है कि मार्च 2020 तक संदीप और पीड़िता के बीच काफी अच्छे संबंध हुआ करते थे या फिर कहें कि दोनों का जो अफेयर था. लेकिन उसके बाद अचानक से दोनों की बातचीत बिल्कुल खत्म हो गई.

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