नई दिल्ली:
यूपीए वन के दौरान पूरे पांच साल कानून मंत्री और फिर उसके बाद कर्नाटक और केरला के गवर्नर रहे हंसराज भारद्वाज ने कांग्रेस के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है। ललितगेट मामले पर कांग्रेस के विरोध में उन्होंने कई खामियां गिना दीं। कहा इस मामले पर संसद ठप्प करने की रणनीति ठीक नहीं।
एनडीटीवी इंडिया से बात करते हुए भारद्वाज ने माना कि ललित मोदी को मदद पहुंचाए जाने के मामले पर बीजेपी की आलोचना होनी चाहिए लेकिन इसकी आड़ में धौलपुर महल की मिल्कियत की बात उठानी या संसद ठप्प करने की रणनीति कांग्रेस की ग़लती है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने लगातार दो दिनों तक प्रेस कांफ्रेंस कर धौलपुर महल को सरकारी संपत्ति साबित करने की कोशिश की। आरोप लगाया कि वसुंधरा और उसके बेटे ने उस पर ग़ैरकानूनी कब्ज़ा कर रखा है। इस पर भारद्वाज ने दो टूक कहा कि परिवार को इस तरह घेर कर कांग्रेस क्या कर लेगी, महल तो उनका ही है, जयराम रमेश का तो नहीं।
कांग्रेस कई बार ये संकेत दे चुकी है कि ललित मोदी को मदद पहुंचाए जाने के मामले को वो संसद में सरकार को घेरेगी और संसद नहीं चलने देगी। भारद्वाज को लगता है कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे के इस्तीफे के लिए कांग्रेस का ये दांव ठीक नहीं। वे कहते हैं कि ये ऐसा मुद्दा नहीं है कि आप संसद को ठप्प कर दें। आप इसे उचित तरीक़े से उठा कर सरकार का ध्यानाकर्षण कर सकते हैं। विपक्षी पार्टी के तौर पर बीजेपी के संसद ठप्प करने की बात याद दिलाने पर वे कहते हैं कि बीजेपी करे या कांग्रेस इससे नुकसान देश का ही होता है।
पार्टी के पुराने नेता के इस हमले पर कांग्रेस ने संयमित प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीसी चाको का कहन है कि भारद्वाज जी को कोई संवादहीनता हुई होगी। संसद ठप्प करने का फैसला अभी किसी ने नहीं लिया है। ख़ुद भारद्वाज जी ने भी इसे उचित फोरम पर उठाने की बात कही है। संसद उचित फोरम है। इस मुद्दे को उठाने के बाद संसद में क्यो होगा इसकी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। सरकार के रुख को देखकर ही आगे फैसला होगा।
जो भी हो। कांग्रेस ने सरकार पर दबाव का जो गुब्बारा बनाया था, भारद्वाज ने उसमें एक पिन चुभो दिया है। यूपीए 2 में मंत्री पद की बजाय गवर्नर बना कर हाशिए पर धकेल दिए गए भारद्वाज की नाराज़गी सोनिया और राहुल गांधी के आसपास जुटे नेताओं से है। इसलिए पार्टी के एक तबके में माना जा रहा है कि उन्होने मौक़ा देख कर चौका मार दिया है।
एनडीटीवी इंडिया से बात करते हुए भारद्वाज ने माना कि ललित मोदी को मदद पहुंचाए जाने के मामले पर बीजेपी की आलोचना होनी चाहिए लेकिन इसकी आड़ में धौलपुर महल की मिल्कियत की बात उठानी या संसद ठप्प करने की रणनीति कांग्रेस की ग़लती है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने लगातार दो दिनों तक प्रेस कांफ्रेंस कर धौलपुर महल को सरकारी संपत्ति साबित करने की कोशिश की। आरोप लगाया कि वसुंधरा और उसके बेटे ने उस पर ग़ैरकानूनी कब्ज़ा कर रखा है। इस पर भारद्वाज ने दो टूक कहा कि परिवार को इस तरह घेर कर कांग्रेस क्या कर लेगी, महल तो उनका ही है, जयराम रमेश का तो नहीं।
कांग्रेस कई बार ये संकेत दे चुकी है कि ललित मोदी को मदद पहुंचाए जाने के मामले को वो संसद में सरकार को घेरेगी और संसद नहीं चलने देगी। भारद्वाज को लगता है कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे के इस्तीफे के लिए कांग्रेस का ये दांव ठीक नहीं। वे कहते हैं कि ये ऐसा मुद्दा नहीं है कि आप संसद को ठप्प कर दें। आप इसे उचित तरीक़े से उठा कर सरकार का ध्यानाकर्षण कर सकते हैं। विपक्षी पार्टी के तौर पर बीजेपी के संसद ठप्प करने की बात याद दिलाने पर वे कहते हैं कि बीजेपी करे या कांग्रेस इससे नुकसान देश का ही होता है।
पार्टी के पुराने नेता के इस हमले पर कांग्रेस ने संयमित प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीसी चाको का कहन है कि भारद्वाज जी को कोई संवादहीनता हुई होगी। संसद ठप्प करने का फैसला अभी किसी ने नहीं लिया है। ख़ुद भारद्वाज जी ने भी इसे उचित फोरम पर उठाने की बात कही है। संसद उचित फोरम है। इस मुद्दे को उठाने के बाद संसद में क्यो होगा इसकी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। सरकार के रुख को देखकर ही आगे फैसला होगा।
जो भी हो। कांग्रेस ने सरकार पर दबाव का जो गुब्बारा बनाया था, भारद्वाज ने उसमें एक पिन चुभो दिया है। यूपीए 2 में मंत्री पद की बजाय गवर्नर बना कर हाशिए पर धकेल दिए गए भारद्वाज की नाराज़गी सोनिया और राहुल गांधी के आसपास जुटे नेताओं से है। इसलिए पार्टी के एक तबके में माना जा रहा है कि उन्होने मौक़ा देख कर चौका मार दिया है।
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