गुना (मध्य प्रदेश):
जैन समाज ने अपने मंदिरों में जींस, टॉप एवं टी-शर्ट पहनकर आने वाली किशोरी एवं युवतियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाकर एक नए विवाद को हवा दे दी है।
नगर में चतुर्मास पर आईं आर्यिका गुरुमति माताजी ने वासुपूज्य जिनालय पर आयोजित धर्मसभा में यह मामला उठाया था, जिसके बाद जैन समाज के अध्यक्ष अनिल जैन एवं मंत्री एलसी जैन ने हाल ही में आयोजित समाज की एक बैठक में उनकी बात से सहमति जताते हुए समाज की युवतियों एवं किशोरियों के लिए फरमान जारी किया है कि वे मंदिरों में जींस, टॉप एवं टी-शर्ट पहनकर आने की बजाए शालीन वस्त्रों में आएं।
उन्होंने कहा कि शीघ्र ही तत्संबंधी चेतावनी पटल सभी जैन मंदिरों एवं जिनालयों में स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने अभिभावकों से भी अपेक्षा की है कि वे अपनी पुत्रियों को जींस, टॉप एवं टी-शर्ट पहनकर धार्मिक कार्यों एवं जैन मंदिरों में होने वाले अन्य आयोजनों में शामिल होने से हतोत्साहित करें। यदि इस चेतावनी के बाद भी ऐसा होता है, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि धर्मसभा में आर्यिका गुरुमति माताजी ने समाज में पाश्चात्य संस्कृति की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि भगवान के दरबार में युवतियों को शालीनता से आना चाहिए। किशोरियों एवं युवतियों को चाहिए कि वे जींस, टॉप एवं टी-शर्ट पहनकर मंदिरों में नहीं आएं और वे शालीन पहनावे में भगवान की अराधना के लिए आएं। उन्होंने कहा था कि मां, बच्चों की पहली गुरु होती है। जो शिक्षा 100 शिक्षक मिलकर नहीं दे सकते, वह मां दे सकती है। उन्होंने जानवरों पर हिंसा के बाद बनने वाले सौंदर्य प्रसाधनों जैसे लिपस्टिक आदि का इस्तेमाल नहीं करने की भी अपील की है।
नगर में चतुर्मास पर आईं आर्यिका गुरुमति माताजी ने वासुपूज्य जिनालय पर आयोजित धर्मसभा में यह मामला उठाया था, जिसके बाद जैन समाज के अध्यक्ष अनिल जैन एवं मंत्री एलसी जैन ने हाल ही में आयोजित समाज की एक बैठक में उनकी बात से सहमति जताते हुए समाज की युवतियों एवं किशोरियों के लिए फरमान जारी किया है कि वे मंदिरों में जींस, टॉप एवं टी-शर्ट पहनकर आने की बजाए शालीन वस्त्रों में आएं।
उन्होंने कहा कि शीघ्र ही तत्संबंधी चेतावनी पटल सभी जैन मंदिरों एवं जिनालयों में स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने अभिभावकों से भी अपेक्षा की है कि वे अपनी पुत्रियों को जींस, टॉप एवं टी-शर्ट पहनकर धार्मिक कार्यों एवं जैन मंदिरों में होने वाले अन्य आयोजनों में शामिल होने से हतोत्साहित करें। यदि इस चेतावनी के बाद भी ऐसा होता है, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि धर्मसभा में आर्यिका गुरुमति माताजी ने समाज में पाश्चात्य संस्कृति की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि भगवान के दरबार में युवतियों को शालीनता से आना चाहिए। किशोरियों एवं युवतियों को चाहिए कि वे जींस, टॉप एवं टी-शर्ट पहनकर मंदिरों में नहीं आएं और वे शालीन पहनावे में भगवान की अराधना के लिए आएं। उन्होंने कहा था कि मां, बच्चों की पहली गुरु होती है। जो शिक्षा 100 शिक्षक मिलकर नहीं दे सकते, वह मां दे सकती है। उन्होंने जानवरों पर हिंसा के बाद बनने वाले सौंदर्य प्रसाधनों जैसे लिपस्टिक आदि का इस्तेमाल नहीं करने की भी अपील की है।
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