नई दिल्ली:
गुजरात के फर्जी मुठभेड़ मामले की आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मोदी सरकार की खिंचाई की थी। नरेन्द्र मोदी की सरकार ने 2003 से 2006 के बीच 22 फर्जी मुठभेड़ों की जांच के लिए जिस तरीके से जस्टिस केआर व्यास की नियुक्ति के आदेश जारी किए उसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 25 जनवरी को रिटायर्ड जज जस्टिस एमबी शाह से 22 फर्जी मुठभेड़ों की जांच करने और तीन महीने में अंतरिम रिपोर्ट देने को कहा था लेकिन गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि चूंकि जस्टिस शाह जांच करने को तैयार नहीं हैं इसलिए बॉम्बे हाईकोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस और महाराष्ट्र मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस व्साय को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। सुप्रीम कोर्ट इस बात से नाराज था कि फैसला लेने से पहले उससे संपर्क क्यों नहीं किया गया।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 25 जनवरी को रिटायर्ड जज जस्टिस एमबी शाह से 22 फर्जी मुठभेड़ों की जांच करने और तीन महीने में अंतरिम रिपोर्ट देने को कहा था लेकिन गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि चूंकि जस्टिस शाह जांच करने को तैयार नहीं हैं इसलिए बॉम्बे हाईकोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस और महाराष्ट्र मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस व्साय को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। सुप्रीम कोर्ट इस बात से नाराज था कि फैसला लेने से पहले उससे संपर्क क्यों नहीं किया गया।
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