अहमदाबाद:
गुजरात के बोटाद जिले में रविवार को झाड़-फूंक करने वाले ओझाओं के कार्यक्रम में गुजरात के शिक्षा और राजस्व मंत्री भूपेंद्र सिंह चुडासमा एवं सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री आत्माराम परमार ने शिरकत की. इस कार्यक्रम का आयोजन सत्ताधारी भाजपा की स्थानीय इकाई ने किया था. अब इस कार्यक्रम में मंत्रियों की मौजूदगी का वीडियो वायरल होने से विवाद शुरू हो गया है.
हालांकि मंत्रियों को इसमें कुछ गलत नहीं लग रहा है. शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चुडासमा का कहना है कि इसमें कुछ गलत नहीं है. जैसे हम समाज का हिस्सा हैं, वे भी समाज का हिस्सा हैं. वे शक्ति के उपासक हैं तो मिलने में कुछ गलत नहीं है.
लेकिन विपक्ष और तर्कवादी वैज्ञानिक विचारधारा के पक्षधर लोग इससे आहत हैं. उनका कहना है कि दुनिया 21वीं सदी में पहुंच चुकी है. तब भी राजनैतिक तबकों में पुरानी अंधविश्वास के कार्यक्रमों में मौजूदगी समाज के विकास के लिए घातक साबित हो सकती है.
कांग्रेस के नेता अर्जुन मोढवाडिया का कहना है कि हमारे संविधान में प्रावधान किया गया है कि हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देंगे और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देंगे. ऐसे में भाजपा के दोनों नेताओं ने संविधान की भावना के खिलाफ, जो लोगों को परेशान करते हैं, ऐसे लोगों का सम्मेलन किया और यह सिर्फ वोटों के लिए किया गया.
यह भी पढ़ें - तांत्रिकों के कार्यक्रम में पहुंचे गुजरात के 2 मंत्री, वीडियो हुआ वायरल
गुजरात-मुंबई रेशनलिस्ट एसोसिएशन के सदस्य मनीषी जानी कहते हैं कि एक तरफ महाराष्ट्र में कई लोग जान की आहुति देकर कानून लाने में सफल रहे कि अंधविश्वास को रोकना चाहिए, ऐसे में गुजरात के मंत्री ऐसे कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं. यह शर्मनाक बात है. एक तरफ राज्य के स्कूलों में बच्चों का प्रवेशोत्सव मनाया जा रहा है ऐसे में शिक्षामंत्री अंधविश्वास से जुड़े लोगों के कार्यक्रम में हिस्सा लेते हैं. यह संविधान के खिलाफ भी है. मंत्रियों को इस्तीफा देना चाहिए.
पड़ोसी राज्य और भाजपा शासित महाराष्ट्र में अंधश्रद्धा के खिलाफ कानून बना है. ऐसे में चुनावी साल में गुजरात में यह मुद्दा एक बड़े राजनैतिक विवाद का सबब बन रहा है.
हालांकि मंत्रियों को इसमें कुछ गलत नहीं लग रहा है. शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चुडासमा का कहना है कि इसमें कुछ गलत नहीं है. जैसे हम समाज का हिस्सा हैं, वे भी समाज का हिस्सा हैं. वे शक्ति के उपासक हैं तो मिलने में कुछ गलत नहीं है.
लेकिन विपक्ष और तर्कवादी वैज्ञानिक विचारधारा के पक्षधर लोग इससे आहत हैं. उनका कहना है कि दुनिया 21वीं सदी में पहुंच चुकी है. तब भी राजनैतिक तबकों में पुरानी अंधविश्वास के कार्यक्रमों में मौजूदगी समाज के विकास के लिए घातक साबित हो सकती है.
कांग्रेस के नेता अर्जुन मोढवाडिया का कहना है कि हमारे संविधान में प्रावधान किया गया है कि हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देंगे और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देंगे. ऐसे में भाजपा के दोनों नेताओं ने संविधान की भावना के खिलाफ, जो लोगों को परेशान करते हैं, ऐसे लोगों का सम्मेलन किया और यह सिर्फ वोटों के लिए किया गया.
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गुजरात-मुंबई रेशनलिस्ट एसोसिएशन के सदस्य मनीषी जानी कहते हैं कि एक तरफ महाराष्ट्र में कई लोग जान की आहुति देकर कानून लाने में सफल रहे कि अंधविश्वास को रोकना चाहिए, ऐसे में गुजरात के मंत्री ऐसे कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं. यह शर्मनाक बात है. एक तरफ राज्य के स्कूलों में बच्चों का प्रवेशोत्सव मनाया जा रहा है ऐसे में शिक्षामंत्री अंधविश्वास से जुड़े लोगों के कार्यक्रम में हिस्सा लेते हैं. यह संविधान के खिलाफ भी है. मंत्रियों को इस्तीफा देना चाहिए.
पड़ोसी राज्य और भाजपा शासित महाराष्ट्र में अंधश्रद्धा के खिलाफ कानून बना है. ऐसे में चुनावी साल में गुजरात में यह मुद्दा एक बड़े राजनैतिक विवाद का सबब बन रहा है.
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