बिना कांग्रेस जीएसटी पास कराना हुआ थोड़ा आसान लेकिन मुश्किलें अब भी बाकी

बिना कांग्रेस जीएसटी पास कराना हुआ थोड़ा आसान लेकिन मुश्किलें अब भी बाकी

नई दिल्ली:

हाल ही में हुए राज्यसभा चुनावों के बाद सदन का गणित बदल गया है। अब बीजेपी और उसके सहयोगियों को संख्या के आधार पर कांग्रेसनीत यूपीए से बढ़त मिलने की संभावना नजर आ रही है जहां सरकार अब बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स या जीएसटी) बिल मानसून सत्र में पास होने की उम्मीद कर सकती है।

राज्य वित्त मत्रियों की हुई बैठक के बाद हुई जीएसटी पर आम सहमति
इस हफ्ते राज्यों के वित्त मत्रियों के साथ हुई बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री ने जीएसटी पर आम सहमति हो जाने पर राहत महसूस की थी। जीएसटी बिल का देश में एकीकृत कर व्यवस्था पर गहरा होगा। कांग्रेस अब तक राज्यसभा में बिल पारित कराने के खिलाफ थी और अब भी इसे बिना संशोधन के बिल पास कराने के लिए तैयार नहीं है। सभी के मन में यह सवाल है कि क्या सरकार मानसून सत्र में इस बिल को कांग्रेस के विरोध के बावजूद पास करा पाएगी?

सरकार तैयारी कर रही है हर स्थिति से निपटने के लिए
हाल ही में एनडीटीवी को वित्तमंत्री जेटली ने बताया कि सरकार सभी को साथ लाकर हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहेगी। अब राज्यसभा में भाजपा के उसके सहयोगी और सात नामित सदस्यों को मिलाकर कुल 81 सांसद हो गए हैं। यूपीए के कुल 68 सांसद हैं और 91 सांसद ऐसे हैं जो न तो बीजेपी के साथ हैं और न ही यूपीए के साथ हैं। जीएसटी पर अब तक जो पार्टियां कांग्रेस के साथ थीं, जरूरी नहीं कि इस बार भी ऐसा ही करेंगीं। एनसीपी, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, जनता दल (यूनाईटेड), बहुजन समाज पार्टी और बीजू जनता दल ने पहले ही बिल का समर्थन करने की घोषणा कर दी है। इन पार्टियों के 60 सांसद हैं जिसका मतलब है कि अब बिल को 245 सदस्यीय राज्यसभा में 141 सांसदों का समर्थन होगा।
 जीएसटी के विरोध में करीब 80 सांसद हैं जिसमें कांग्रेस के 60 और लेफ्ट और लालू यादव की आरजेडी को मिलाकर 20 सांसद हैं हालांकि लालू के सहयोगी बिहार के मुख्यमंत्री नीतिशकुमार ने बिहार के फायदे के लिए जीएसटी बिल का समर्थन किया है।

क्या है संविधान संशोधन के लिए सदन का गणित
संविधान संशोधन के लिए सदन में दो तिहाई सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी जिसका मतलब होगा कि सरकार को 164 वोट चाहिए होंगे। जयललिता की AIADMK के 13 सांसद इस बिल का विरोध कर रहे हैं क्योंकि जीएसटी जैसे बिल की वजह से तमलनाडु उत्पादक राज्य को नुकसान होगा। इसके बावजूद सरकार को AIADMK के साथ आ जाने की उम्मीद है। अगर AIADMK साथ आ भी जाती है, तो भी सरकार को दो तिहाई बहुमत के लिए 10 वोट कम पड़ेंगे। अगर AIADMK मतदान से बाहर रहती है तो सदन की संख्या 232 रह जाएगी और ऐसे में दो तिहाई का आंकड़ा 155 रह जाएगा, तब भी सरकार को 14 वोट कम पड़ जाएंगे।

कुछ पार्टियों और सांसदों का रुख अभी भी तय नहीं है
जिन पार्टियों ने अभी कुछ तय नहीं किया है उनके वायएसआर कांग्रेस, तेलंगाना राष्ट्रीय समिति, जनता दल सेक्यूलर, और निर्दलीय मिला कर छह सांसद होते हैं। सरकार की चिंता इस बात की है कि अगर सरकार ने समर्थन हासिल कर भी लिया तो कांग्रेस सदन को हंगामा करके ठप्प कर सकती है। इस बात पर भी सबकी निगाह है कि नामित सांसद सचिन तेंदुलकर और रेखा का क्या रुख रहता है। क्या वे कांग्रेस के प्रति ही वफादार रहेंगे जिसने उन्हें नामित किया है या फिर सरकार की नाजुक मौके पर मदद करेंगे।


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