कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान सरकार का जीएसटी कलेक्शन औसत का 45 प्रतिशत तक ही हो पाया है. कोरोना संकट के दौरान पहले जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ये महत्वूर्ण बात कही. जीएसटी काउंसिल ने आर्थिक संकट के इस दौर में छोटे करदाताओं को कई तरह की राहत देने का फैसला किया है. देश में बढ़ते कोरोना संकट के बीच पहली बार वित्त मंत्री ने माना कि लॉकडाऊन के दौरान जीएसटी कलेक्शन घट कर औसत का 45 फीसदी तक ही हो पाया है. मौका था जीएसटी काउंसिल की बैठक का जिसमें कोरोना संकट से भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे असर की समीक्षा की गयी.
प्रेस से बातचीत में वित्त मंत्री ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान सरकार का राजस्व कलेक्शन घटा है , वित्त मंत्री ने कहा "राज्यों को भी समझाया गया है कि कलेक्शन क्या रहा है...जीएसटी कलेक्शन सिर्फ 45 फीसदी की रेंज में रहा है." राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने इस पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि अप्रैल, मई और जून में कितना राजस्व जमा हुआ है इसकी सही जानकारी जून के अंतिम सप्ताह या उसके बाद दी जाएगी जो कि जीएसटी रिटर्न जमा करने की आखिरी तारीख है.
जीएसटी काउंसिल की बैठक में GSTR-3B के लिए विलंब शुल्क में कमी करने का फैसला किया गया. ये तय किया गया है कि जिन करदाताओं पर जुलाई 2017 से जनवरी 2020 के बीच कोई टैक्स (जीएसटी) लायबिलिटी नहीं है उन्हें विलंब शुल्क देने की जरूरत नहीं है. साथ ही जिन पर जीएसटी लंबित है उनपर GSTR-3B लेट से फाइल करने के अधिकतम विलम्ब शुल्क की सीमा 500 रुपये प्रति रिटर्न के हिसाब से तय होगी.
5 करोड़ तक के टर्नओवर वाली छोटी कंपनियों को विलंब से जीएसटी रिटर्न दाखिल करने पर 18% की जगह 9% की दर से ब्याज देना होगा. बता दें कि जीएसटी काउंसिल क्षतिपूर्ति सेस को लेकर जुलाई में चर्चा करेगी.
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