फाइल फोटो
नई दिल्ली:
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि कोहिनूर हीरा भारत का है और इसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने महाराजा दिलीप सिंह से जब वह नाबालिग थे, तब उनसे धोखे से जब्त कर लिया था.105 कैरेट के कोहिनूर को कभी भी ब्रिटेन की महारानी को बतौर तोहफा नहीं दिया गया. इससे देश के लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं.
भारत कोहिनूर को ब्रिटेन से वापस लाने के लिए संभावनाएं तलाश रहा है क्योंकि कानूनी रूप से ये संभव नहीं है. हालांकि भारत और ब्रिटेन दोनों UNESCO संधि से बंधे हुए हैं लेकिन कोहिनूर के मामले में भारत अंतरराष्ट्रीय कोर्ट नहीं जा सकता क्योंकि कोहिनूर को संधि से पहले ही भारत से ले जाया जा चुका था.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोहिनूर का मामला गंभीर है. केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर किसी ठोस सुझाव के साथ कोर्ट में आना चाहिए. हालांकि इससे पहले केंद्र की ओर से सोलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कोर्ट में कहा था कि कोहिनूर को ना तो लूटा गया और ना ही उसे चोरी किया गया. ये हीरा महाराजा रंजीत सिंह ने ईस्ट इंडिया कंपनी को तोहफे में दिया था. इस कारण इसे वापस लेना संभव नहीं.
याचिकाकर्ता बंगाल हेरिटेज की तरफ से याचिका में कहा गया है कि कोहिनूर को महाराजा दिलीप सिंह ने ईस्ट इंडिया कंपनी को गिफ्ट नहीं किया था बल्कि उन्हें इसे देने के लिए विवश किया गया था. कोहिनूर से संबंधित पुराने कागजात भी ये ही बताते हैं. केंद्र को इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय फोरम में जाना चाहिए और कोहिनूर को वापस लाना चाहिए.
भारत कोहिनूर को ब्रिटेन से वापस लाने के लिए संभावनाएं तलाश रहा है क्योंकि कानूनी रूप से ये संभव नहीं है. हालांकि भारत और ब्रिटेन दोनों UNESCO संधि से बंधे हुए हैं लेकिन कोहिनूर के मामले में भारत अंतरराष्ट्रीय कोर्ट नहीं जा सकता क्योंकि कोहिनूर को संधि से पहले ही भारत से ले जाया जा चुका था.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोहिनूर का मामला गंभीर है. केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर किसी ठोस सुझाव के साथ कोर्ट में आना चाहिए. हालांकि इससे पहले केंद्र की ओर से सोलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कोर्ट में कहा था कि कोहिनूर को ना तो लूटा गया और ना ही उसे चोरी किया गया. ये हीरा महाराजा रंजीत सिंह ने ईस्ट इंडिया कंपनी को तोहफे में दिया था. इस कारण इसे वापस लेना संभव नहीं.
याचिकाकर्ता बंगाल हेरिटेज की तरफ से याचिका में कहा गया है कि कोहिनूर को महाराजा दिलीप सिंह ने ईस्ट इंडिया कंपनी को गिफ्ट नहीं किया था बल्कि उन्हें इसे देने के लिए विवश किया गया था. कोहिनूर से संबंधित पुराने कागजात भी ये ही बताते हैं. केंद्र को इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय फोरम में जाना चाहिए और कोहिनूर को वापस लाना चाहिए.
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