नई दिल्ली:
सिविल सर्विसेज में जो नौजवान परीक्षा देने वाले है उन्हें प्रारंभिक परीक्षा (प्रिलिमिनरी एग्जाम) के एप्टीट्यूड टेस्ट में 33 फीसदी नंबर लाने लाजमी होंगे, ये फैसला केंद्र सरकार का है। साथ ही केंद्र सरकार ने एक समिति बनाने की घोषणा भी कर दी है। ये समिति एप्टीट्यूड टेस्ट को लेकर क्या दिक्कतें आ रही हैं उसे देखेगी।
सिविल सेवा परीक्षा 2015 की अधिसूचना जारी होने से कुछ ही दिन पहले सरकार ने एक आदेश जारी कर प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य अध्ययन द्वितीय प्रश्न पत्र (सीसैट-2) को क्वालीफाइंग बनाने का फैसला किया है। इस फैसले को मानविकी के छात्रों के लिए एक बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की ओर से जारी बयान के अनुसार, ‘सरकार जब तक समिति की सिफारिशों पर कोई फैसला नहीं करती एप्टीट्यूड टेस्ट सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा का हिस्सा बना रहेगा। यह क्वालीफाइंग पेपर होगा जिसमें न्यूनतम 33 प्रतिशत अंक लाना आवश्यक होगा।’
डीओपीटी के अनुसार, ‘अंग्रेजी भाषा कॉम्प्रिहेंशन सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के सामान्य अध्ययन द्वितीय प्रश्न पत्र से बाहर ही रहेगा।’ इस फैसले को सिविल सेवा नियमावली 2015 में शामिल कर लिया गया है।
यह समिति योग्यता, पाठ्यक्रम और परीक्षा की पद्धति पर व्यापक विचार करेगी।
पिछले वर्ष जुलाई में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा ली जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था और छात्र सीसैट (प्रारंभिक परीक्षा में पेपर-2) में बदलाव की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए थे। छात्रों का दावा था कि पेपर-2 में आने वाले प्रश्नों के कारण ग्रामीण पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले अभ्यर्थियों को दिक्कतें होती हैं।
गौरतलब है कि सामान्य अध्ययन द्वितीय प्रश्न पत्र के खिलाफ छात्रों ने पिछले साल बड़ा आंदोलन किया था और उसके बाद प्रारंभिक परीक्षा से ठीक पहले सरकार ने अंग्रेजी कॉम्प्रिहेंशन के अंक को मेरिट में नहीं जोड़ने का फैसला किया था। सरकार ने सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट (सीसैट) के सभी पहलुओं पर विचार के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का भी फैसला किया है।
सिविल सेवा परीक्षा 2015 की अधिसूचना जारी होने से कुछ ही दिन पहले सरकार ने एक आदेश जारी कर प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य अध्ययन द्वितीय प्रश्न पत्र (सीसैट-2) को क्वालीफाइंग बनाने का फैसला किया है। इस फैसले को मानविकी के छात्रों के लिए एक बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की ओर से जारी बयान के अनुसार, ‘सरकार जब तक समिति की सिफारिशों पर कोई फैसला नहीं करती एप्टीट्यूड टेस्ट सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा का हिस्सा बना रहेगा। यह क्वालीफाइंग पेपर होगा जिसमें न्यूनतम 33 प्रतिशत अंक लाना आवश्यक होगा।’
डीओपीटी के अनुसार, ‘अंग्रेजी भाषा कॉम्प्रिहेंशन सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के सामान्य अध्ययन द्वितीय प्रश्न पत्र से बाहर ही रहेगा।’ इस फैसले को सिविल सेवा नियमावली 2015 में शामिल कर लिया गया है।
यह समिति योग्यता, पाठ्यक्रम और परीक्षा की पद्धति पर व्यापक विचार करेगी।
पिछले वर्ष जुलाई में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा ली जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था और छात्र सीसैट (प्रारंभिक परीक्षा में पेपर-2) में बदलाव की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए थे। छात्रों का दावा था कि पेपर-2 में आने वाले प्रश्नों के कारण ग्रामीण पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले अभ्यर्थियों को दिक्कतें होती हैं।
गौरतलब है कि सामान्य अध्ययन द्वितीय प्रश्न पत्र के खिलाफ छात्रों ने पिछले साल बड़ा आंदोलन किया था और उसके बाद प्रारंभिक परीक्षा से ठीक पहले सरकार ने अंग्रेजी कॉम्प्रिहेंशन के अंक को मेरिट में नहीं जोड़ने का फैसला किया था। सरकार ने सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट (सीसैट) के सभी पहलुओं पर विचार के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का भी फैसला किया है।
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