भारत में महिलाओं के विवाह की न्यूनतम आयु को 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष किए जाने के बिल को सरकार संसदीय समिति को भेजने के खिलाफ नहीं है, जहां बिल के प्रावधानों की छानबीन हो सकती है. यह जानकारी सूत्रों से हासिल हुई है.
केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री के मुताबिक, बिल को संसदीय समिति को भेजा जाना इस बात पर निर्भर करेगा कि विपक्षी दल इस बारे में सदन में क्या मांग करते हैं. दरअसल, कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) तथा कुछ अन्य दलों ने बिल का विरोध करने का फैसला किया है.
सरकार का एजेंडा है कि इस बिल को इसी सत्र में पारित कराना है, जबकि संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र के केवल चार दिन बचे हैं और राज्यसभा से 12 विपक्षी सांसदों के निलंबन और गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के इस्तीफे की मांग के कारण कार्यवाही लगातार बाधित हो रही है.
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महिलाओं के विवाह की न्यूनतम आयु को 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 किए जाने के प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट ने पिछले बुधवार को मंज़ूरी दी थी. सरकार का इरादा इसके लिए मौजूदा कानूनों में संशोधन लाने का बताया गया. इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 15 अगस्त पर लाल किले से किए अपने संबोधन में कहा था कि बेटियों को कुपोषण से बचाने के लिए आवश्यक है कि उनका विवाह उचित समय पर हो. अभी पुरुषों की विवाह की न्यूनतम उम्र 21 और महिलाओं की 18 है. अब सरकार इसे मूर्त रूप देने के लिए बाल विवाह निषेध कानून, स्पेशल मैरिज ऐक्ट और हिन्दू मैरिज ऐक्ट में संशोधन लाएगी.
इससे पहले, नीति आयोग के तहत जया जेटली की अध्यक्षता में बनी टास्कफोर्स ने न्यूनतम आयु को बढ़ाए जाने की सिफारिश की थी. टास्कफोर्स के सदस्यों में वी.के. पॉल के अलावा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, महिला तथा बाल विकास, उच्च शिक्षा, स्कूल शिक्षा तथा साक्षरता मिशन और न्याय तथा कानून मंत्रालय के विधेयक विभाग के सचिव शामिल रहे थे.
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