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This Article is From Jan 25, 2017

जमीनी काम करने वाले 'गुमनाम सितारों' को इस साल पद्म सम्मान...

जमीनी काम करने वाले 'गुमनाम सितारों' को इस साल पद्म सम्मान...
पिछले 40 सालों से फायर डिपार्टमेंट के साथ काम करते रहे कोलकाता के बिपिन गनात्रा को पद्मश्री...
नई दिल्ली: केंद्र सरकार का दावा है कि इस साल पद्म अवार्ड की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन की गई है. इस बार की अवार्ड की सूची भी सबसे छोटी है. इस साल केंद्र सरकार ने सिर्फ 89 लोगों को पद्म अवार्ड से सुशोभित किया है.

जानकारी के मुताबिक इस साल 18000 नामांकन 4000 लोगों के लिए ऑनलाइन आए थे लेकिन अवार्ड सिर्फ 89 लोगों को मिला. छंटनी का सिलसिला मई 2016 से शुरू किया गया था.

केंद्रीय गृह मंत्रालय इस चयन प्रक्रिया से शुरू से जुड़ा रहता है. उसने इस साल फोकस 'गुमनाम हीरो' पर रखा. इस साल 15 ऐसे गुमनाम सितारों को अवार्ड मिला है. खास ध्यान ग्रास रूट पर काम कर रहे लोगों पर रखा गया है.

कोलकाता के वॉलेंटियर बिपिन गनात्रा को पद्मश्री इसीलिए दिया गया, क्योंकि वे पिछले 40 सालों से फायर डिपार्टमेंट के साथ काम करते रहे और शहर की 100 जगहों पर जब आग लगी तो रेस्क्यू वर्क से जुड़े रहे. 76 साल की मीनाक्षी अम्मा को इसलिए अवार्ड दिया गया, क्योंकि वे केरल में कलरीपायट्टु, जिसे भारतीय मार्शल आर्ट भी कहा जाता है सिखाती रहीं.

इस साल दिल्ली के किसी डॉक्टर को न तो पद्मश्री मिला न ही पद्म विभूषण, जैसा हर साल देखने को मिलता है. अवार्ड मिला 91 साल की भक्ति यादव को जो पिछले 68 साल से लोगों का फ़्री इलाज कर रही हैं. वे एक डॉक्टर हैं और उन्होंने 1000 से ज़्यादा गर्भवती महिलाओं का इलाज किया है. भक्ति यादव को इंदौर शहर में डॉक्टर दादी के नाम से जाना जाता है. डॉक्टर दादी फिलहाल तबियत ठीक न होने के कारण हॉस्पिटल में एडमिट हैं. गृह मंत्रालय ने उनके बेटे को फोन पर सूचना दी.

इस सूची में पोच्चमपल्ली सिल्क साड़ी बनाने की तकनीक में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली तेलंगाना की चिंताकिंदी मल्लेशम, एड्स की रोकथाम में तीन दशक से जुटीं तमिलनाडु की डॉ सुनीति सोलोमन, देश के राष्ट्रीय राजमार्गों पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की जान बचाने वाले लाइफ लाइन फाउंडेशन के संस्थापक और ‘हाईवे मसीहा’ के रूप में जाने-जाने वाले डॉ सुब्रत दास शामिल हैं.
 

(सेतु बंधु’ के नाम से मशहूर कर्नाटक के गिरीश भारद्वाज)

इसके अलावा देश के दूरदराज के इलाकों में सौ से अधिक सस्ते और टिकाऊ पर्यावरण अनुकूल संस्पेशन ब्रिज बनाने वाले एवं ‘सेतु बंधु’ के नाम से मशहूर कर्नाटक के गिरीश भारद्वाज, स्वच्छ भारत मिशन शुरू होने से 5 दशक पहले से ही सफाई अभियान में लगे महाराष्ट्र के स्वच्छता दूत डॉ मापूसकर, पंजाब में सीवर प्रणाली के विकास के लिए फंड जुटाने और कार्यकर्ताओं को आंदोलित करने वाले इको बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल, गुजरात के सूखा प्रभावित जिलों में अनार का सर्वाधिक उत्पादन करने वाले दिव्यांग किसान अनार दादा जेनाभाई दर्गाभाई पटेल, निशुल्क मूक्स प्रणाली के जरिए हारर्वड और एमिटी विश्वविद्यालयों के पाठयक्रमों को विभिन्न भाषाओं में दुनिया भर में फैलाने वाले भारतीय मूल के अमेरिकी अनंत अग्रवाल को अवार्ड मिला है.

इन सबके साथ पिछले छह दशकों से आदिवासी लोक संगीत को लोकप्रिय बनाने वाली कर्नाटक की गायिका सुकरी बोम्मागौडा, ओडिशा के लोकप्रिय लोक गायक जितेन्द्र हरिपाल और बाल साहित्य तथा स्त्री विमर्श साहित्य को समर्पित असम की 81 वर्षीय लेखिका इली अहमद को भी पद्म पुरस्कार के लिए चुना गया है.

हर साल जब भी पद्म अवार्ड घोषित होते हैं तब सरकार पर यह आरोप लगता था कि उसने सिर्फ उन लोगों को अवार्ड दिए हैं जो उसके पक्ष की बातें कहते हैं या फिर सरकार की सोच आगे बढ़ाने में उसकी मदद करते हैं. लेकिन इस साल सरकार ने फोकस सिर्फ उन आम लोगों पर किया जो ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे हैं.

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