20 हजार करोड़ रुपये के कर विवाद (Tax Dispute) मामले में दूरसंचार कंपनी वोडाफोन (Vodafone) की जीत को सरकार चुनौती देने की तैयारी कर रही है. सरकार 20,000 करोड़ रुपये के टैक्स मामले में अतंरराष्ट्रीय मध्यस्ता ट्रिब्यूनल (Arbitration Tribunal) के वोडाफोन के पक्ष में दिए फैसले को चुनौती देगी. सूत्रों ने यह जानकारी दी. सरकार ने कथित तौर पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की राय पर कार्रवाई करने का फैसला किया है. सॉलिसिटर जनरल का कहना है कि मध्यस्थता के फैसले को चुनौती दी जानी चाहिए.
सरकारी सूत्रों ने कहा कि सरकार के शीर्ष वकील ने कथित तौर पर सलाह दी है कि एक मध्यस्थता न्यायाधिकरण का फैसला किसी संप्रभु देश की संसद द्वारा पास कानून के खिलाफ नहीं जा सकता.
हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने पिछले महीने दिए अपने फैसले में कहा था कि भारत सरकार की ओर से वोडाफोन पर कर देनदारी के साथ-साथ ब्याज और जुर्माना थोपना भारत तथा नीदरलैंड के बीच निवेश संधि समझौते का उल्लंघन है.
ट्रिब्यूनल ने कहा कि सरकार को वोडाफोन से बकाया देनदारी मांगना बंद करना चाहिए और कानूनी खर्च के मुआवजे के रूप में कंपनी को 40 करोड़ रुपये और देने चाहिए.
कर विवाद में 12,000 करोड़ बकाए और 7,900 करोड़ रुपये का जुर्माना शामिल है. यह विवाद वोडाफोन के हच से अधिग्रहण के समय शुरू हुआ था. सरकार ने कहा था कि वोडाफोन को अधिग्रहण पर टैक्स का भुगतान करना था लेकिन कंपनी ने इससे इनकार कर दिया था. सरकार की ओर से वोडाफोन के 11 अरब डॉलर अधिग्रहण सौदे के लिए 11,000 करोड़ रुपये का कर मांगा गया था.
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