शरद पवार (फाइल फोटो)
मुंबई:
शिवसेना ने मंगलवार को अपने संपादकीय के जरिए महाराष्ट्र सरकार को सूखे से निपटने के लिए 'अनुभवी' शरद पवार से सलाह लेने की राय दे डाली। शिवसेना ने कहा कि सरकार को सूखे से निपटने के लिए पवार से सलाह लेने में झिझक महसूस नहीं करनी चाहिए लेकिन साथ ही पार्टी ने एनसीपी प्रमुख की आलोचना भी की कि उन्होंने कृषि मंत्री होने के नाते किसानों की बेहतरी के लिए 'अपने पद का इस्तेमाल' नहीं किया।
कहा- सूखे जैसे गंभीर मुद्दे पर राजनीति न करें...
राज्य के सत्ताधारी गठबंधन की घटक शिवसेना ने कहा कि सूखे जैसे गंभीर मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में छपे संपादकीय में कहा गया, 'शरद पवार बेहद अनुभवी व्यक्ति हैं। वह प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों की स्थिति का जायजा लेने के लिए एक बार फिर सूखा प्रभावित क्षेत्रों के दौरे पर हैं। सरकार को उनसे मार्गदर्शन लेने में कोई झिझक महसूस नहीं करनी चाहिए।'
बहरहाल, पार्टी ने एनसीपी के अन्य नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि वह 'सूखे की स्थितियों पर राजनीति खेलने के आदी हैं।' संपादकीय में कहा गया, 'वे लोग चिल्लाएंगे और कहेंगे कि सरकार ने पवार से मार्गदर्शन लिया। इस मुद्दे पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए और सबसे पहले पवार को इस बात का अहसास होना चाहिए।'
शिवसेना ने की कांग्रेस-एनसीपी की पिछली सरकार की आलोचना...
कांग्रेस-एनसीपी की पिछली सरकार की आलोचना करते हुए शिवसेना ने कहा कि कांग्रेस और एनसीपी के शासनकाल में यदि सूखे की स्थितियों से पैदा होने वाली समस्या पर काबू पाने के उपाय किए गए होते तो समस्याएं इतनी ना बढ़तीं।
पार्टी ने कहा, 'सिंचाई की सुविधा में सुधार के लिए कोई काम नहीं किया गया। पानी की कमी की समस्या को दूर करने के लिए भी कोई कदम नहीं उठाया गया। परिणामस्वरूप, समस्याएं कई गुना बढ़ गईं और अब वे बेहद बुरी स्थिति की ओर मुड़ गई हैं।' शिवसेना ने कहा, 'एनसीपी के पास 15 साल तक बांध निर्माण, वित्त और उर्जा जैसे विभाग थे। पवार खुद केंद्रीय कृषि मंत्री रहे लेकिन उन्होंने अपने पद का इस्तेमाल किसानों की बेहतरी के लिए नहीं किया।'
शिवसेना ने कसा तंज...
शिवसेना ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपनी पार्टी के सदस्यों के साथ सूखा प्रभावित इलाकों का दौरा किया है और जल्दी ही शिवसेना के नेता भी वहां का दौरा करेंगे। 'क्योंकि सरकार का हिस्सा होने के नाते ऐसा करना हमारा कर्तव्य है। राजनीति का सवाल ही नहीं उठता।' शिवसेना ने तंज कसते हुए कहा, 'पवार ने भी सूखा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है और 35 साल बाद वह सड़कों पर निकले हैं। उन्होंने भी किसानों को पूर्ण कर्ज माफी की बात कही है। क्या इसे भी राजनीति खेलना नहीं कहा जाना चाहिए?'
कहा- सूखे जैसे गंभीर मुद्दे पर राजनीति न करें...
राज्य के सत्ताधारी गठबंधन की घटक शिवसेना ने कहा कि सूखे जैसे गंभीर मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में छपे संपादकीय में कहा गया, 'शरद पवार बेहद अनुभवी व्यक्ति हैं। वह प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों की स्थिति का जायजा लेने के लिए एक बार फिर सूखा प्रभावित क्षेत्रों के दौरे पर हैं। सरकार को उनसे मार्गदर्शन लेने में कोई झिझक महसूस नहीं करनी चाहिए।'
बहरहाल, पार्टी ने एनसीपी के अन्य नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि वह 'सूखे की स्थितियों पर राजनीति खेलने के आदी हैं।' संपादकीय में कहा गया, 'वे लोग चिल्लाएंगे और कहेंगे कि सरकार ने पवार से मार्गदर्शन लिया। इस मुद्दे पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए और सबसे पहले पवार को इस बात का अहसास होना चाहिए।'
शिवसेना ने की कांग्रेस-एनसीपी की पिछली सरकार की आलोचना...
कांग्रेस-एनसीपी की पिछली सरकार की आलोचना करते हुए शिवसेना ने कहा कि कांग्रेस और एनसीपी के शासनकाल में यदि सूखे की स्थितियों से पैदा होने वाली समस्या पर काबू पाने के उपाय किए गए होते तो समस्याएं इतनी ना बढ़तीं।
पार्टी ने कहा, 'सिंचाई की सुविधा में सुधार के लिए कोई काम नहीं किया गया। पानी की कमी की समस्या को दूर करने के लिए भी कोई कदम नहीं उठाया गया। परिणामस्वरूप, समस्याएं कई गुना बढ़ गईं और अब वे बेहद बुरी स्थिति की ओर मुड़ गई हैं।' शिवसेना ने कहा, 'एनसीपी के पास 15 साल तक बांध निर्माण, वित्त और उर्जा जैसे विभाग थे। पवार खुद केंद्रीय कृषि मंत्री रहे लेकिन उन्होंने अपने पद का इस्तेमाल किसानों की बेहतरी के लिए नहीं किया।'
शिवसेना ने कसा तंज...
शिवसेना ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपनी पार्टी के सदस्यों के साथ सूखा प्रभावित इलाकों का दौरा किया है और जल्दी ही शिवसेना के नेता भी वहां का दौरा करेंगे। 'क्योंकि सरकार का हिस्सा होने के नाते ऐसा करना हमारा कर्तव्य है। राजनीति का सवाल ही नहीं उठता।' शिवसेना ने तंज कसते हुए कहा, 'पवार ने भी सूखा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है और 35 साल बाद वह सड़कों पर निकले हैं। उन्होंने भी किसानों को पूर्ण कर्ज माफी की बात कही है। क्या इसे भी राजनीति खेलना नहीं कहा जाना चाहिए?'
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