नई दिल्ली:
इस साल खरीफ सीज़न के दौरान दाल, तिलहन और मोटे अनाज का रिकॉर्ड उत्पादन होने की उम्मीद है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक इन तीनों फसलों की काफी अच्छी बुआई हुई है, जिसकी वजह से इनका उत्पादन काफी अच्छा हो सकता है।
कृषि मंत्रालय के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक 17 जुलाई तक पिछले साल के मुकाबले इस साल दाल की बुआई काफी बड़े इलाके में हुई है। पिछले साल 17 जुलाई तक दाल की फसल 23.92 लाख हेक्टेयर में बोई गई थी, जो कि इस साल 17 जुलाई को बढ़कर 55.99 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुका है। यानी एक साल में करीब 130 फीसदी की बढ़ोत्तरी।
इसी तरह साल 2014 में पिछले हप्ते के अंत तक तिलहन की फसल 38.07 लाख हेक्टेयर में बोई गयी थी जबकि इस साल 17 जुलाई तक तिलहन की बुआई 127.12 लाख हेक्टेयर इलाके में हो चुकी है, यानी दो सौ फीसदी से भी ज़्यादा की बढ़ोत्तरी।
इसी तरह का ट्रेंड मोटे अनाज में देखने को सामने आया है। पिछले साल 17 जुलाई तक 47.65 लाख हेक्टेयर इलाके में मोटा अनाज बोया गया था जो इस साल अब तक 102.35 लाख हेक्टेयर इलाके में बोया जा चुका है। यानी दोगुने से भी ज़्यादा।
कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के मुताबिक महत्वपूर्ण फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी और किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए जो नीतियां सरकार ने तैयारी की हैं... ये उन्हीं कोशिशों का नतीजा है।
अगर दलहन और तिलहन का रिकॉर्ड प्रोडक्शन होता है तो इससे इन दोनों खाद्य पदार्थों के आयात पर देश की निर्भरता घटाने में काफी मदद मिलेगी।
कृषि मंत्रालय के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक 17 जुलाई तक पिछले साल के मुकाबले इस साल दाल की बुआई काफी बड़े इलाके में हुई है। पिछले साल 17 जुलाई तक दाल की फसल 23.92 लाख हेक्टेयर में बोई गई थी, जो कि इस साल 17 जुलाई को बढ़कर 55.99 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुका है। यानी एक साल में करीब 130 फीसदी की बढ़ोत्तरी।
इसी तरह साल 2014 में पिछले हप्ते के अंत तक तिलहन की फसल 38.07 लाख हेक्टेयर में बोई गयी थी जबकि इस साल 17 जुलाई तक तिलहन की बुआई 127.12 लाख हेक्टेयर इलाके में हो चुकी है, यानी दो सौ फीसदी से भी ज़्यादा की बढ़ोत्तरी।
इसी तरह का ट्रेंड मोटे अनाज में देखने को सामने आया है। पिछले साल 17 जुलाई तक 47.65 लाख हेक्टेयर इलाके में मोटा अनाज बोया गया था जो इस साल अब तक 102.35 लाख हेक्टेयर इलाके में बोया जा चुका है। यानी दोगुने से भी ज़्यादा।
कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के मुताबिक महत्वपूर्ण फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी और किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए जो नीतियां सरकार ने तैयारी की हैं... ये उन्हीं कोशिशों का नतीजा है।
अगर दलहन और तिलहन का रिकॉर्ड प्रोडक्शन होता है तो इससे इन दोनों खाद्य पदार्थों के आयात पर देश की निर्भरता घटाने में काफी मदद मिलेगी।