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This Article is From Nov 11, 2014

जांच पड़ताल के बाद मंत्री बनाए गए नेतागण : 'दागियों' पर दागे सवाल के जवाब में बोले अरुण जेटली

जांच पड़ताल के बाद मंत्री बनाए गए नेतागण : 'दागियों' पर दागे सवाल के जवाब में बोले अरुण जेटली
वित्तमंत्री अरुण जेटली की फाइल तस्वीर
नई दिल्ली:

सरकार ने कैबिनेट में 'दागी' मंत्रियों को शामिल करने के कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री ने मंत्रियों के बारे में जांच पड़ताल करने के बाद उन्हें शामिल किया है।

भाजपा ने कहा कि कांग्रेस बेबुनियाद आरोप लगा रही है क्योंकि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता से हताश है।

सूचना और प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने कहा, 'कांग्रेस पार्टी का आरोप पूरी तरह निराधार है। ऐसा लगता है कि कांग्रेस के पास राजनीतिक मुद्दे नहीं बचे। कांग्रेस को खुद के खराब गुणवत्ता वाले शासन पर विचार करना चाहिए और इन बेबुनियाद आरोपों के बजाय अपने शासन की तुलना राजग के गुणवत्ता वाले शासन से करनी चाहिए।'

कांग्रेस के आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए जेटली ने कहा कि संप्रग सरकार के दौरान मंत्रियों के खिलाफ न केवल मामले थे बल्कि कुछ को तो सजा भी सुनाई गई थी और संप्रग के दौरान लिए गए हर फैसले पर विवाद था।

वित्तमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि संप्रग सरकार के दौरान अपनी कैबिनेट के चुनाव में उनकी नहीं चलती थी और राजग सरकार में अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री का होता है और वह अपने प्रत्येक मंत्री के बारे में पड़ताल करते हैं।

जेटली ने सरकार में अपने सहयोगी नए मंत्रियों रामशंकर कठेरिया और वाईएस चौधरी के खिलाफ आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनके खिलाफ मामले राजनीतिक आंदोलनों से उपजे तथा कॉरपोरेट मामलों से जुड़े हैं और भ्रष्ट आचरण या अन्य अपराधों के मामले नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नए मंत्री गिरिराज सिंह के खिलाफ कोई मामला नहीं है।

जेटली ने कांग्रेस से इन आधारहीन आरोपों में उलझने के बजाय उनके द्वारा दिए गए कुशासन की गुणवत्ता की तुलना राजग सरकार के शासन की गुणवत्ता से करने के लिए कहा। उन्होंने कहा, 'संप्रग सरकार के दौरान, प्रधानमंत्री का मंत्रिपरिषद के गठन या उसके विस्तार में कभी अंतिम फैसला नहीं होता था। राजग में, अलग तरह की व्यवस्था है। अंतिम फैसला पूरी तरह से प्रधानमंत्री का होता है।'

कैबिनेट विस्तार के बाद, एआईसीसी महासचिव अजय माकन ने बैंक दस्तावेजों का हवाला देते हुए चौधरी का इस्तीफा मांगा था और दावा किया था कि उनकी कंपनी ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से लिए 317.6 करोड़ रुपये के ऋण अदायगी में गड़बड़ी की है।

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