सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़े मुद्दों को व्हीसलब्लोअर्स प्रोटेक्शन एक्ट के दायरे से बाहर रखने के लिए इसमें संशोधन करने की योजना बनाई है।
वर्ष 2014 के शुरू में संसद द्वारा पारित किए गए मूल कानून में देश की संप्रभुता को प्रभावित कर सकने वाले तथ्यों का खुलासा करने से रोकने के प्रावधान नहीं थे। अधिनियम अब तक अस्तित्व में नहीं आया है।
सत्ता में आने पर नरेन्द्र मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़े जरूरी संशोधन लाए जाने तक अधिनियम का कार्यान्वयन ना करने का फैसला किया था।
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल आने वाले दिनों में इसमें संशोधन पर विचार कर सकता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी सूचना की रक्षा के मुद्दे को सबसे पहले भाजपा ने उठाया था जब तत्कालीन कार्मिक राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने राज्यसभा में यह विधेयक पेश किया था।
पिछले दरवाजे से बातचीत के बाद संप्रग सरकार संशोधन को लेकर राजी हो गई थी।
लेकिन संप्रग के नेताओं ने भाजपा से ऊपरी सदन में विधेयक पर बहस के दौरान इसके लिए जोर ना देने का अनुरोध किया था क्योंकि संशोधन विधेयक को लोकसभा से मंजूरी लेने के लिए वापस वहां भेजना पड़ता जो संसद के सत्र के जल्द खत्म होने को देखते हुए व्यावहारिक नहीं था।
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