
बुधवार को सरोगेसी मामले में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। इसमें कहा गया है कि कमर्शल सरोगेसी पर पूरी तरह पाबंदी रहेगी। विदेशी को देश में सरोगेसी की इजाजत नहीं दी जाएगी। भ्रूण के आयात पर पाबंदी रहेगी और सिर्फ रिसर्च के लिए इसकी इजाजत दी जाएगी।
सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि बिल ड्राफ्ट राज्यों को भेजा गया क्योंकि स्वास्थ्य राज्य का मामला है। बिल में अपंग बच्चों की जिम्मेदारी लेने से इंकार करने पर दंपत्ति पर जुर्माने का प्रावधान भी रखा गया है। सरकार ने कहा है कि सरोगेट मां के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी प्रावधान तय किए जा रहे हैं। कमर्शल सरोगेसी के लिए भी बड़ा जुर्माना लगाया जाना है।
यहां बता दें कि मामला सुप्रीम कोर्ट में तब आया है जब एक जर्मन दंपत्ति ने सरोगेसी के लिए गुजरात के आनंद में एक महिला को सरोगेसी के लिए लिया। गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चा भारतीय नागरिक है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में बच्चे को जर्मनी भेज दिया। अब सुप्रीम कोर्ट को इस मामले के कानूनी पहलू को तय करना है।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से पहले सरकारी दलील अखबार में आने पर कड़ी आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि मीडिया से बात मत करो लेकिन यह सब आपके गिल्टी माइंड की वजह से हुआ है। सॉलिसीटर जनरल ने खबर यूं लीक हो जाने पर कोर्ट से माफी मांगी और कहा कि मंत्रायल से खबर लीक हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार सरोगेसी पर क्या दलील देगी, ये अखबार से पता चल गया है। सरकार अब हलफनामा दाखिल करे और 24 नवंबर को इस मामले पर सुनवाई होगी।
दरअसल, सरोगेसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई चल रही है। केंद्र चाहती है कि विदेशी लोगों को सरोगेसी की इजाजत न दी जाए। लेकिन सुनवाई से पहले ये दलील एक अखबार में छप गई।
सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि बिल ड्राफ्ट राज्यों को भेजा गया क्योंकि स्वास्थ्य राज्य का मामला है। बिल में अपंग बच्चों की जिम्मेदारी लेने से इंकार करने पर दंपत्ति पर जुर्माने का प्रावधान भी रखा गया है। सरकार ने कहा है कि सरोगेट मां के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी प्रावधान तय किए जा रहे हैं। कमर्शल सरोगेसी के लिए भी बड़ा जुर्माना लगाया जाना है।
यहां बता दें कि मामला सुप्रीम कोर्ट में तब आया है जब एक जर्मन दंपत्ति ने सरोगेसी के लिए गुजरात के आनंद में एक महिला को सरोगेसी के लिए लिया। गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चा भारतीय नागरिक है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में बच्चे को जर्मनी भेज दिया। अब सुप्रीम कोर्ट को इस मामले के कानूनी पहलू को तय करना है।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से पहले सरकारी दलील अखबार में आने पर कड़ी आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि मीडिया से बात मत करो लेकिन यह सब आपके गिल्टी माइंड की वजह से हुआ है। सॉलिसीटर जनरल ने खबर यूं लीक हो जाने पर कोर्ट से माफी मांगी और कहा कि मंत्रायल से खबर लीक हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार सरोगेसी पर क्या दलील देगी, ये अखबार से पता चल गया है। सरकार अब हलफनामा दाखिल करे और 24 नवंबर को इस मामले पर सुनवाई होगी।
दरअसल, सरोगेसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई चल रही है। केंद्र चाहती है कि विदेशी लोगों को सरोगेसी की इजाजत न दी जाए। लेकिन सुनवाई से पहले ये दलील एक अखबार में छप गई।
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