स्विट्जरलैंड में चलने वाली टिल्टिंग ट्रेनें जल्द भारत में भी दौड़ेंगी
खास बातें
- दूसरी दिशा में झुकाव होने पर ट्रेन उस ओर झुक जाती है
- इस ट्रेन से यात्रियों को सहूलियत रहती है
- ट्रेन के लिए भारत ने स्विटजरलैंड के साथ किया समझौता
नई दिल्ली: स्विट्जरलैंड के सहयोग से भारत ‘‘टिल्टिंग’’ ट्रेनें विकसित करेगा जो मोड़ पर एक ओर वैसे ही झुक जाएंगी जैसे घुमावदार रास्तों पर मोटरबाइक झुक जाती हैं. इस संबंध में दोनों देशों के बीच आज समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए. ऐसी ट्रेनें अभी 11 देशों में चल रही हैं. इनमें इटली, पुर्तगाल, स्लोवेनिया, फिनलैंड, रूस, चेक गणराज्य, ब्रिटेन, स्विट्जरलैंड, चीन, जर्मनी और रूमानिया शामिल हैं.
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1.एक अधिकारी ने बताया बायीं ओर झुकाव होने पर ऐसी ट्रेन बायीं ओर झुक जाती है तथा दूसरी दिशा में झुकाव होने पर ट्रेन उस ओर झुकेगी. इससे यात्रियों को सहूलियत होती है.
2.रेल मंत्रालय ने स्विस परिसंघ (स्विट्जरलैंड) के साथ दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए. पहला समझौता ज्ञापन रेल मंत्रालय और स्विस परिसंघ के पर्यावरण, परिवहन और संचार के संघीय विभाग के मध्य रेल क्षेत्र में तकनीकी सहयोग के लिए हुआ. इस समझौता ज्ञापन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए.
3.यह समझौता ज्ञापन रेल मंत्री सुरेश प्रभु और स्विटजरलैंड के राजदूत के बीच रेल क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग के बारे में जुलाई 2016 में हुई बैठक के बाद की कार्रवाई के रूप में हुआ है.
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4.इस समझौता ज्ञापन का लक्ष्य ट्रैक्शन रोलिंग स्टॉक, ईएमयू एवं ट्रेन सेट, ट्रैक्शन प्रणोदन उपकरण, माल और यात्री कारें, टिलटिंग ट्रेन, रेलवे विद्युतीकरण उपकरण आदि क्षेत्रों में सहयोग करना है.
5.दूसरा समझौता ज्ञापन कोंकण रेलवे निगम लिमिटेड (केआरसीएल) और स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (ईटीएच) के बीच हुआ है. इस समझौता ज्ञापन से सुरंग बनाने के क्षेत्र के बारे में जानकारी प्राप्त करने और उसके विस्तार के लिए गोवा में जॉर्ज फर्नांडीज इंस्टीट्यूट ऑफ टनल टेक्नोलॉजी (जीएफआईटीटी) की स्थापना करने में मदद मिलेगी.
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