गुना:
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने इस बात पर संदेह व्यक्त किया है कि सीबीआई को स्वायत्तता देने के बेहतर परिणाम होंगे।
गुना में संवाददाताओं के सवालों के जवाब में सिंह ने कहा, ‘‘सीबीआई को स्वायत्तता देने के परिणाम बेहतर होंगे, इस पर भी प्रश्नचिह्न लगते हैं। उसे स्वायत्तता देना ऐसा ही है, जैसे किसी थानेदार को स्वायत्तता देना।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या आम आदमी एक थानेदार को स्वायत्तता देने के हक में है।’’
सीबीआई को स्वायत्तता देने का मामला उच्चतम न्यायालय द्वारा जांच एजेंसी को ‘पिंजरे में बंद तोता’ बताए जाने के बाद जोर पकड़ गया है।
कांग्रेस महासचिव ने आशंका जताई कि आने वाले समय में देश की अदालतें कहीं राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे पदों को लेकर टिप्पणियां नहीं करने लग जाएं, यदि ऐसा हुआ, तो लोकतंत्र का वर्तमान ढांचा एवं संतुलन प्रभावित हो सकता है। उन्होंने कहा कि विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका को अपने-अपने क्षेत्र में रहकर काम करना चाहिए, जिससे उनकी मर्यादा भंग नहीं हो।
कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘‘मेरी चिंता, आम आदमी की जिज्ञासा जैसी है कि हमारे देश में न्यायपालिका, कार्यपालिका एवं विधायिका के समन्वय तथा हर संस्थान के प्रति आदर का भाव ही, प्रजातंत्र का आधार है।''
विधायिका का अधिकार कानून बनाना, कार्यपालिका का उस पर अमल करना तथा न्यायपालिका का काम किसी पक्ष द्वारा विधान के विपरीत कार्य करने पर उसे सजा देना है। उन्होंने कहा कि एक दूसरे के क्षेत्र में हस्तक्षेप इन संवैधानिक संस्थाओं के सम्मान में गिरावट लाएगी।
उन्हें समझ नहीं आता कि न्यायपालिका यदि लिखित में कोई आपत्ति दर्ज कराती है, तो उसकी अपील की जा सकती है, लेकिन सीबीआई के लिए ‘पिंजरा में बंद तोता’ जैसी टिप्पणी की अपील किस स्थान पर की जाए, यह सवाल अनुत्तरित है, क्योंकि यह टिप्पणी लिखित में नहीं है।
एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा कि उन्होंने न्यायपालिका के विपरीत कोई टिप्पणी नहीं की है, केवल सीबीआई को ‘पिंजरे में बंद तोता’ कहने पर आपत्ति की है। वह न्यायपालिका का भरपूर सम्मान करते हैं।
गुना में संवाददाताओं के सवालों के जवाब में सिंह ने कहा, ‘‘सीबीआई को स्वायत्तता देने के परिणाम बेहतर होंगे, इस पर भी प्रश्नचिह्न लगते हैं। उसे स्वायत्तता देना ऐसा ही है, जैसे किसी थानेदार को स्वायत्तता देना।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या आम आदमी एक थानेदार को स्वायत्तता देने के हक में है।’’
सीबीआई को स्वायत्तता देने का मामला उच्चतम न्यायालय द्वारा जांच एजेंसी को ‘पिंजरे में बंद तोता’ बताए जाने के बाद जोर पकड़ गया है।
कांग्रेस महासचिव ने आशंका जताई कि आने वाले समय में देश की अदालतें कहीं राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे पदों को लेकर टिप्पणियां नहीं करने लग जाएं, यदि ऐसा हुआ, तो लोकतंत्र का वर्तमान ढांचा एवं संतुलन प्रभावित हो सकता है। उन्होंने कहा कि विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका को अपने-अपने क्षेत्र में रहकर काम करना चाहिए, जिससे उनकी मर्यादा भंग नहीं हो।
कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘‘मेरी चिंता, आम आदमी की जिज्ञासा जैसी है कि हमारे देश में न्यायपालिका, कार्यपालिका एवं विधायिका के समन्वय तथा हर संस्थान के प्रति आदर का भाव ही, प्रजातंत्र का आधार है।''
विधायिका का अधिकार कानून बनाना, कार्यपालिका का उस पर अमल करना तथा न्यायपालिका का काम किसी पक्ष द्वारा विधान के विपरीत कार्य करने पर उसे सजा देना है। उन्होंने कहा कि एक दूसरे के क्षेत्र में हस्तक्षेप इन संवैधानिक संस्थाओं के सम्मान में गिरावट लाएगी।
उन्हें समझ नहीं आता कि न्यायपालिका यदि लिखित में कोई आपत्ति दर्ज कराती है, तो उसकी अपील की जा सकती है, लेकिन सीबीआई के लिए ‘पिंजरा में बंद तोता’ जैसी टिप्पणी की अपील किस स्थान पर की जाए, यह सवाल अनुत्तरित है, क्योंकि यह टिप्पणी लिखित में नहीं है।
एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा कि उन्होंने न्यायपालिका के विपरीत कोई टिप्पणी नहीं की है, केवल सीबीआई को ‘पिंजरे में बंद तोता’ कहने पर आपत्ति की है। वह न्यायपालिका का भरपूर सम्मान करते हैं।
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