हरिद्वार:
तीर्थ नगरी हरिद्वार का एक धार्मिक संगठन 2,525 किलोमीटर लंबी समूची गंगा की सफाई के लिए एक सर्वेक्षण करा रहा है। गंगा को सभी नदियों में पवित्र माना जाता है लेकिन यह नदी आज अत्यंत प्रदूषित हो गई है।
गायत्री परिवार देशभर में जगह-जगह गंगा की सफाई शुरू कर चुका है लेकिन उसे लग रहा है कि यह प्रयास पर्याप्त नहीं है। संगठन की योजना गंगा के सभी तटों को यथासंभव एकरूपता देने की है।
भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व अधिकारी और इस परियोजना से जुड़े प्रमुख व्यक्तियों में से एक केदार प्रसाद दुबे ने कहा कि यह अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य है।
दुबे ने कहा कि सर्वेक्षण से पता चलेगा कि गंगा तट पर बने घाटों की संख्या कितनी है, कितनी दूर तक की गंगा प्रदूषित है और इस अप्रत्याशित उद्यम में कितने स्वयंसेवियों को लगाने की जरूरत पड़ेगी।
दुबे ने एक साक्षात्कार में कहा कि हम गंगा की सफाई की आवश्यकता के बारे में लोगों को जागरूक भी करेंगे।
ज्ञात हो कि गंगा का उद्गम उत्तराखंड में स्थित गंगोत्री से है जो समुद्र तल से 12,769 फीट की ऊंचाई पर है। यह उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से होकर बहती है और बंगाल की खाड़ी में जाकर हिंद महासागर से मिलती है। बंगाल की खाड़ी बांग्लादेश की सीमा में है।
गौरतलब है कि गंगा के तटों पर जितनी घनी आबादी बसी हुई है, विश्व की किसी नदी के किनारे उतनी आबादी नहीं है। गंगा के तटों पर 40 करोड़ से अधिक लोग बसे हुए हैं और इसका जनसंख्या घनत्व 390 लोग प्रति वर्ग किलोमीटर है।
यह नदी विश्व की सर्वाधिक प्रदूषित नदियों में से एक है। प्रदूषण से न केवल मनुष्यों को, बल्कि सैकड़ों प्रजाति की मछलियों और 90 प्रकार के उभयचर प्राणियों को भी खतरा है।
दुबे ने बताया कि गायत्री परिवार नदियों और मंदिरों की सफाई करता रहा है। पांच जून को लगभग 2,500 कार्यकर्ताओं ने हरिद्वार में गंगा की सफाई की थी।
इससे पहले 31 मई को 2,000 से अधिक पुरुषों और महिलाओं ने मिलकर वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में गंगा घाटों की सफाई की थी। उन्होंने बताया कि उसी महीने लगभग 5,000 लोगों ने अयोध्या में सरयू नदी की सफाई में योगदान दिया था।
गायत्री परिवार देशभर में जगह-जगह गंगा की सफाई शुरू कर चुका है लेकिन उसे लग रहा है कि यह प्रयास पर्याप्त नहीं है। संगठन की योजना गंगा के सभी तटों को यथासंभव एकरूपता देने की है।
भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व अधिकारी और इस परियोजना से जुड़े प्रमुख व्यक्तियों में से एक केदार प्रसाद दुबे ने कहा कि यह अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य है।
दुबे ने कहा कि सर्वेक्षण से पता चलेगा कि गंगा तट पर बने घाटों की संख्या कितनी है, कितनी दूर तक की गंगा प्रदूषित है और इस अप्रत्याशित उद्यम में कितने स्वयंसेवियों को लगाने की जरूरत पड़ेगी।
दुबे ने एक साक्षात्कार में कहा कि हम गंगा की सफाई की आवश्यकता के बारे में लोगों को जागरूक भी करेंगे।
ज्ञात हो कि गंगा का उद्गम उत्तराखंड में स्थित गंगोत्री से है जो समुद्र तल से 12,769 फीट की ऊंचाई पर है। यह उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से होकर बहती है और बंगाल की खाड़ी में जाकर हिंद महासागर से मिलती है। बंगाल की खाड़ी बांग्लादेश की सीमा में है।
गौरतलब है कि गंगा के तटों पर जितनी घनी आबादी बसी हुई है, विश्व की किसी नदी के किनारे उतनी आबादी नहीं है। गंगा के तटों पर 40 करोड़ से अधिक लोग बसे हुए हैं और इसका जनसंख्या घनत्व 390 लोग प्रति वर्ग किलोमीटर है।
यह नदी विश्व की सर्वाधिक प्रदूषित नदियों में से एक है। प्रदूषण से न केवल मनुष्यों को, बल्कि सैकड़ों प्रजाति की मछलियों और 90 प्रकार के उभयचर प्राणियों को भी खतरा है।
दुबे ने बताया कि गायत्री परिवार नदियों और मंदिरों की सफाई करता रहा है। पांच जून को लगभग 2,500 कार्यकर्ताओं ने हरिद्वार में गंगा की सफाई की थी।
इससे पहले 31 मई को 2,000 से अधिक पुरुषों और महिलाओं ने मिलकर वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में गंगा घाटों की सफाई की थी। उन्होंने बताया कि उसी महीने लगभग 5,000 लोगों ने अयोध्या में सरयू नदी की सफाई में योगदान दिया था।
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