बाड़मेर में कथित गौरक्षकों ने गायों से भरे ट्रकों पर हमला किया और उन्हें जलाने की कोशिश की.
जयपुर:
राजस्थान के बाड़मेर में सोमवार को कथित गौरक्षकों ने गौवंश से भरे ट्रक में आग लगाने की कोशिश की. गाय की रक्षा की बात करने वाले इन लोगों ने ही गायों को जिंदा जलाने का प्रयास किया. यह गाय बीजेपी की महत्वाकांक्षी योजना राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत तमिलनाडु ले जाई जा रही थीं. राष्ट्रीय गोकुल मिशन मोदी सरकार का देशी गायों की वंशवृद्धि के लिए चलाया जा रहा मिशन है.
बताया जाता है कि तमिलनाडु के पशुपालन विभाग के अधिकारी थारपारकर गायों को ले जा रहे थे. थारपारकर गायों की एक नस्ल है जिसकी उत्पत्ति पाकिस्तान के सिंध प्रांत के थारपारकर जिले में हुई है. पांच ट्रकों में तमिलनाडु सरकार द्वारा 50 गायों और 30 बछडों को गौ नस्ल वृद्धि कार्यक्रम के तहत ले जाया जा रहा था. यह गाय और बछड़े तमिलनाडु सरकार ने जैसलमेर से 25 लाख रुपये में खरीदे हैं. बाड़मेर शहर के बीच में इन ट्रकों पर हमला किया गया.
कथित गौरक्षकों ने हमले के पीछे कोई कारण नहीं बताया. उन्होंने ट्रकों में मौजूद वे कागजात भी नहीं देखे जिनमें ट्रकों से गायों को राजस्थान से ले जाने की जिला अधिकारियों की अनुमति भी शामिल थी. उन्होंने सरकारी वाहन के स्टीकरों को भी अनदेखा किया. उन्होंने बस ट्रक चालकों और पशुपालन विभाग के कर्मचारियों की पिटाई शुरू कर दी. उन्होंने ट्रकों पर पथराव भी किया. गौरक्षकों की भीड़ किसी की बात सुनने को तैयार नहीं थी.
यही नहीं गौरक्षा की बात करने वाले लोग गायों को जिंदा जलाने पर आमादा थे. यदि समय रहते बचाव न किया जाता तो यह कथित गौरक्षक ट्रकों में आम लगाकर गायों और बछड़ों को जिंदा जला डालते. यह पूरी घटना बाड़मेर शहर के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमाक 15 पर हुई.
ट्रक ड्राइवर घेवर राम ने बताया कि पहले 15-20 लोग आए और उसके बाद भीड़ बढ़ती गई. हमने उनसे कहा कि हमारे कागजात देख लो. हमारे साथ पशु चिकित्सक भी हैं. पर उन्होंने कोई भी बात सुनने से इनकार कर दिया. वे तो बस हमें पीटते रहे. उन्होंने ट्रकों में आग लगाने की कोशिश भी की.
बाड़मेर के एसपी गगनदीप सिंगला ने बताया कि ट्रकों पर पथराव करने और उनमें आग लगाने की कोशिश करने वाले 50 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. इनमें से चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
हालांकि इस मामले में पुलिस की भूमिका को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. इस घटना के दौरान भीड़ बेकाबू हो गई और राष्ट्रीय राज मार्ग पर काफी देर तक जाम लगा रहा. इस मामले में पुलिस की सुस्ती के चलते सात पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर किया गया है.
उधर, तमिलनाडु के अधिकारियों पर हमला करने वाले गौरक्षकों के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने कार्रवाई की मांग की है. सीपीआई की तमिलनाडु इकाई ने राजस्थान में गौरक्षकों द्वारा राज्य सरकार के अधिकारियों पर हमले की कड़ी निंदा की है और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
सीपीआई की तमिलनाडु इकाई के सचिव आर मुतारासन ने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि वह केंद्र और राजस्थान सरकार पर दबाव डाले ताकि गौरक्षकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित हो. इन गौरक्षकों ने अधिकारियों पर हमला किया है. मुतारासन ने चेन्नई में एक वक्तव्य में कहा भाकपा की राज्य कमेटी हमले की जोरदार निंदा करती है. तकरीबन 50 गौरक्षकों ने तमिलनाडु सरकार के अधिकारियों पर उस वक्त हमला किया था जब वे जैसलमेर से गायों को अपने राज्य लेकर जा रहे थे. गौरक्षकों ने ट्रक पर पथराव किया और राजस्थान के बाड़मेर जिले में मवेशी की तस्करी के संदेह में राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया.
(इनपुट एजेंसी से भी)
बताया जाता है कि तमिलनाडु के पशुपालन विभाग के अधिकारी थारपारकर गायों को ले जा रहे थे. थारपारकर गायों की एक नस्ल है जिसकी उत्पत्ति पाकिस्तान के सिंध प्रांत के थारपारकर जिले में हुई है. पांच ट्रकों में तमिलनाडु सरकार द्वारा 50 गायों और 30 बछडों को गौ नस्ल वृद्धि कार्यक्रम के तहत ले जाया जा रहा था. यह गाय और बछड़े तमिलनाडु सरकार ने जैसलमेर से 25 लाख रुपये में खरीदे हैं. बाड़मेर शहर के बीच में इन ट्रकों पर हमला किया गया.
कथित गौरक्षकों ने हमले के पीछे कोई कारण नहीं बताया. उन्होंने ट्रकों में मौजूद वे कागजात भी नहीं देखे जिनमें ट्रकों से गायों को राजस्थान से ले जाने की जिला अधिकारियों की अनुमति भी शामिल थी. उन्होंने सरकारी वाहन के स्टीकरों को भी अनदेखा किया. उन्होंने बस ट्रक चालकों और पशुपालन विभाग के कर्मचारियों की पिटाई शुरू कर दी. उन्होंने ट्रकों पर पथराव भी किया. गौरक्षकों की भीड़ किसी की बात सुनने को तैयार नहीं थी.
यही नहीं गौरक्षा की बात करने वाले लोग गायों को जिंदा जलाने पर आमादा थे. यदि समय रहते बचाव न किया जाता तो यह कथित गौरक्षक ट्रकों में आम लगाकर गायों और बछड़ों को जिंदा जला डालते. यह पूरी घटना बाड़मेर शहर के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमाक 15 पर हुई.
ट्रक ड्राइवर घेवर राम ने बताया कि पहले 15-20 लोग आए और उसके बाद भीड़ बढ़ती गई. हमने उनसे कहा कि हमारे कागजात देख लो. हमारे साथ पशु चिकित्सक भी हैं. पर उन्होंने कोई भी बात सुनने से इनकार कर दिया. वे तो बस हमें पीटते रहे. उन्होंने ट्रकों में आग लगाने की कोशिश भी की.
बाड़मेर के एसपी गगनदीप सिंगला ने बताया कि ट्रकों पर पथराव करने और उनमें आग लगाने की कोशिश करने वाले 50 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. इनमें से चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
हालांकि इस मामले में पुलिस की भूमिका को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. इस घटना के दौरान भीड़ बेकाबू हो गई और राष्ट्रीय राज मार्ग पर काफी देर तक जाम लगा रहा. इस मामले में पुलिस की सुस्ती के चलते सात पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर किया गया है.
उधर, तमिलनाडु के अधिकारियों पर हमला करने वाले गौरक्षकों के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने कार्रवाई की मांग की है. सीपीआई की तमिलनाडु इकाई ने राजस्थान में गौरक्षकों द्वारा राज्य सरकार के अधिकारियों पर हमले की कड़ी निंदा की है और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
सीपीआई की तमिलनाडु इकाई के सचिव आर मुतारासन ने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि वह केंद्र और राजस्थान सरकार पर दबाव डाले ताकि गौरक्षकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित हो. इन गौरक्षकों ने अधिकारियों पर हमला किया है. मुतारासन ने चेन्नई में एक वक्तव्य में कहा भाकपा की राज्य कमेटी हमले की जोरदार निंदा करती है. तकरीबन 50 गौरक्षकों ने तमिलनाडु सरकार के अधिकारियों पर उस वक्त हमला किया था जब वे जैसलमेर से गायों को अपने राज्य लेकर जा रहे थे. गौरक्षकों ने ट्रक पर पथराव किया और राजस्थान के बाड़मेर जिले में मवेशी की तस्करी के संदेह में राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया.
(इनपुट एजेंसी से भी)
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