बेंगलुरू:
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को कहा कि देश के नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट-10 का फ्रेंच गुयाना स्थित काउरॉ अंतरिक्ष केंद्र से एरियान-5 राकेट के जरिये 29 सितम्बर को प्रक्षेपण किया जाएगा।
इसरो ने एक बयान में कहा, "3.4 टन वजनी उपग्रह (जीसैट-10) को एरियान-5 राकेट पर एसईएस के अस्त्र-2एफ अंतरिक्ष विमान के साथ लगाया गया है, जिसक प्रक्षेपण 29 सितम्बर को होना है।"
अस्त्र-2एफ लक्जमबर्ग के प्रमुख उपग्रह संचालक एसईएस से सम्बंधित है। इससे पहले 15 सितम्बर को कुछ खामी के कारण यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने प्रक्षेपण को 22 सितम्बर से सात दिनों के लिए आगे बढ़ा दिया था।
जीसैट-10 के साथ 30 संचार ट्रांसपोंडर होंगे (संचार और ब्राडकास्ट सिग्नल के लिए स्वचालित रिसीवर और ट्रांसमीटर) और जीसैट-10 उसके द्वारा बनाया गया अब तक का सबसे भारी उपग्रह है।
कई परीक्षणों के बाद जीसैट-10 इस साल नवम्बर से पूरी तरह कार्य करने लगेगा। इसका जीवनकाल 15 साल होगा। लांच और बीमा सहित इस उपग्रह की लागत 750 करोड़ बैठी है।
जीसैट-10 अपने साथ प्लेलोड 'गगन' को भी साथ ले जाएगा। यह एयरपोर्ट्स अथोरिटी आफ इंडिया को उड्डयन संबंधी जरूरतों के लिए ग्लोबल पोजिशनिंग सेटेलाइट सिगनल मुहैया कराएगा।
इसरो ने एक बयान में कहा, "3.4 टन वजनी उपग्रह (जीसैट-10) को एरियान-5 राकेट पर एसईएस के अस्त्र-2एफ अंतरिक्ष विमान के साथ लगाया गया है, जिसक प्रक्षेपण 29 सितम्बर को होना है।"
अस्त्र-2एफ लक्जमबर्ग के प्रमुख उपग्रह संचालक एसईएस से सम्बंधित है। इससे पहले 15 सितम्बर को कुछ खामी के कारण यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने प्रक्षेपण को 22 सितम्बर से सात दिनों के लिए आगे बढ़ा दिया था।
जीसैट-10 के साथ 30 संचार ट्रांसपोंडर होंगे (संचार और ब्राडकास्ट सिग्नल के लिए स्वचालित रिसीवर और ट्रांसमीटर) और जीसैट-10 उसके द्वारा बनाया गया अब तक का सबसे भारी उपग्रह है।
कई परीक्षणों के बाद जीसैट-10 इस साल नवम्बर से पूरी तरह कार्य करने लगेगा। इसका जीवनकाल 15 साल होगा। लांच और बीमा सहित इस उपग्रह की लागत 750 करोड़ बैठी है।
जीसैट-10 अपने साथ प्लेलोड 'गगन' को भी साथ ले जाएगा। यह एयरपोर्ट्स अथोरिटी आफ इंडिया को उड्डयन संबंधी जरूरतों के लिए ग्लोबल पोजिशनिंग सेटेलाइट सिगनल मुहैया कराएगा।
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