यह ख़बर 13 जुलाई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

'पिल्ले' वाली टिप्पणी : मोदी ने कहा, हमारी संस्कृति में हर जीव का सम्मान

खास बातें

  • गुजरात दंगों के संदर्भ में 'पिल्ले' शब्द के उपयोग से उठे विवाद पर सफाई देने के प्रयास में नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि हमारी संस्कृति में हर प्रकार के जीव का सम्मान है और उसकी पूजा की जाती है।
नई दिल्ली:

गुजरात दंगों के संदर्भ में 'पिल्ले' शब्द के उपयोग से उठे विवाद पर सफाई देने के प्रयास में नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि हमारी संस्कृति में हर प्रकार के जीव का सम्मान है और उसकी पूजा की जाती है।

मोदी ने अपने बयान से उठे राजनीतिक बवंडर के कुछ ही देर बाद ट्वीट किया, हमारी संस्कृति में हर जीव बहुमूल्य और पूजनीय है। एक इंटरव्यू में दंगों को लेकर अफसोस होने के बारे में पूछे जाने पर नरेंद्र मोदी की इस टिप्पणी कि "अगर पिल्ला भी गाड़ी के नीचे आ जाता है, तो लोग दुखी हो जाते हैं", की तीखी आलोचना हुई है और समाजवादी पार्टी ने उन पर आरोप लगाया कि उन्होंने मुस्लिमों की तुलना पिल्लों से की है।

कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख अजय माकन ने कहा कि 2002 के दंगों में हजारों लोगों की जानें चली गईं और इस पृष्ठभूमि में नरेंद्र मोदी द्वारा प्रयुक्त तुलना निंदनीय है... सभ्य भारत में ऐसी तुलना के लिए कोई स्थान नहीं है। सपा प्रवक्ता कमल फारूकी ने कहा कि यह काफी दुखद, अत्यंत अपमानजनक और काफी परेशान करने वाला बयान है... मोदी क्या सोचते हैं कि मुसलमान पिल्लों से भी गए-गुजरे हैं? उनके पास मुसलमानों के लिए कोई भावना नहीं है... उन्हें दुखी होना चाहिए... उन्हें माफी मांगनी चाहिए।

उधर, बीजेपी प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने मोदी के बचाव में उतरते हुए आरोप लगाया कि एक खास समुदाय का तुष्टिकरण करने के लिए मोदी की टिप्पणी को जानबूझ कर गलत अर्थ दिया गया है। यह कांग्रेस की वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा है। मोदी की 'पिल्ले' वाली टिप्पणी पर सीपीआई नेता एबी वर्धन ने हैरत जताई कि क्या गुजरात के मुख्यमंत्री कार में बैठे मासूम मुसाफिर थे और क्या वह यह नहीं जानते थे कि इसे ड्राइव कौन कर रहा था।

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वहीं सीपीएम नेता वृंदा करात ने कहा कि यह बहुत ही शर्मनाक है कि मोदी नरसंहार को न्यायोचित ठहरा रहे हैं और इसकी भयावहता को उचित ठहराने के लिए अनुचित उदाहरण पेश कर रहे हैं। मोदी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए वृंदा ने कहा कि मोदी न तो नरसंहार के लिए अफसोस जताने को तैयार हैं, न ही पुलिस द्वारा सुनियोजित तरीके से बेकसूर लोगों की गई हत्या के लिए। यह मोदी के शासन का मॉडल है।