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This Article is From Sep 24, 2015

खनिजों की चोरी पर लगाम लगाने के लिए जनवरी से नई नीति

खनिजों की चोरी पर लगाम लगाने के लिए जनवरी से नई नीति
प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली: ट्रक ड्राइवरों और रेत माफिया के लिए अब खनिजों की चोरी करना आसान नहीं होगा। सरकार नदियों में खनन के इलाकों में जल्द ही नाकों पर डिज़िटल चेक करेगी।

सरकार ने रेत, बजरी, मिट्टी और ग्रेनाइट समेत छोटे-मोटे खनिजों के खनन के लिए नई नीति का ऐलान किया है, जिसे अगले साल एक जनवरी से लागू किया जाएगा। पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस नीति की घोषणा करते हुए कहा कि इसका मकसद माफिया राज को खत्म करना और नदियों को बचाना है।

सैटेलाइट से निगरानी
सरकार की नई नीति में यह तय किया गया है कि पूरी नदी को राज्य के सभी जिलों में एक ही इकाई माना जाएगा। सैटेलाइट के जरिए पता लगाया जाएगा कि बालू के डिपॉजिट कहां पर हैं। इन भंडारों में ही खनन की इजाजत दी जाएगी। इसके लिए इसरो से रिमोट सेंसिंग की मदद ली जाएगी। सरकार ने जिला स्तर पर एक्सपर्ट कमेटी बनाने का फैसला किया है जो खनन से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करेगी।

ट्रकों को मिलेगी डिज़िटल रसीद
सरकार ने तय किया है कि रेत-बजरी की चोरी रोकने के लिए ट्रकों को दी जाने वाली रसीद को डिज़िटल किया जाएगा। यानी परची पर बार कोडिंग होगी और वॉटरमार्क भी होगा। पर्यावरण मंत्री जावड़ेकर ने कहा डिजिटल रसीद के बाद रेत-बजरी की चोरी होना बंद होगी और सरकार को करोड़ों की कमाई हो पाएगी। तय हुआ है कि 5 हेक्टेयर तक की माइनिंग की इजाजत कलेक्टर दे सकता है और पचास हेक्टेयर तक की इजाजत राज्य सरकार दे सकती है।

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